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व्रत महत्व
पौराणिक कथाओं में लिखित है कि जब एक बार राजा (king)को कोई संतान नहीं हो रही थी , तब उन्होंने अपनी पत्नी (Wife) सहित माता मंगला गौरी का व्रत धारण किया था । वरदान स्वरूप उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन उसकी अल्पआयु बताई गई थी। ज्योतिष की सलाह से उन्होंने अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराई जो माता मंगला गौरी का व्रत रखती हो क्योंकि उससे अखंड सौभाग्यवती वरदान प्राप्त होता है । इसी प्रकार उसके पति की आयु माँ पार्वती की कृपा से बढ़ जाती है । यह व्रत प्रत्येक महिलाओं को करना चाहिए इससे उनका शादीशुदा जीवन अच्छा चलता है और खुशियों का आगमन भी बना रहता है । साथ ही इस व्रत Fast को अविवाहित कन्याएं (unmarried girls) भी कर सकती हैं ,अगर कहीं उनकी शादी में कोई अर्चन/ विवधा (problems) समाप्त हो जाती है और मां गौरी की कृपा से उसे मनचाहा पति जल्द मिलता है।
मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा देवी गौरी से वैवाहिक आनंद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इस व्रत को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और शेष दक्षिण भारत में श्री मंगला गौरी व्रतम के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू भक्तों के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस महीने में पूरे मन से देवी गौरी की पूजा करने से लोगों को सुख, सफलता और समृद्धि मिलती है। पवित्र महीने के दौरान सभी मंगलवार को उपवास रखने से भगवान शिव की पत्नी प्रसन्न होती है।
पूजा विधि-
इस व्रत को करने के लिए आपको सूर्योदय (before sunrise) से पहले उठकर स्नान( wash) करके साफ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाना चाहिए और किसी ऊंचे स्थान पर लाल चुनरी बिछा कर मां मंगला की मूर्ति idol of maa mangla स्थापित करें । और उनसे अपने व्रत को स्वीकारने की प्रार्थना करें। फिर मां को वस्त्र, सुहाग संबंधित सामग्रियां, सोलह सिंगार ,16 चूड़िया,16 सूखे मेवे ,नारियल, फल, फूल ,इलायची ,सुपारी , लौंग ,चांदी का सिक्का व मिठाइयां चढ़ाएं और आटे का दीपक बनाकर घी का दिया जलाएं । फिर अच्छे मन से उनकी कथा सुने और माता गौरी की आरती करें । तत्पश्चात, सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें । मां गौरी से हाथ जोड़कर भूली- भटकी चीजों के लिए माफी मांगे। ।
इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति दिन में सिर्फ एक बार ही अन्न खा सकता है।
इस मंत्र का करे जाप
1. सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
2. '' मम श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये ।
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