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sawan 2020 : श्रावण मास में ऐसे करें शिव की पूजा

पंडित भरतलाल शास्त्री Updated 09 Jul 2020 04:32 PM IST
श्रावण मास में ऐसे करें शिव की पूजा
श्रावण मास में ऐसे करें शिव की पूजा - फोटो : Myjyotish
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शास्त्रोक्त व पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण माह में ही समुद्र मंथन किया गया था। मंथन के दौरान समुद्र से निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में समाहित कर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की। किन्तु अग्नि के समान दग्ध विष के पान उपरांत महादेव शिव का कंठ नीलवर्ण हो गया। विष की ऊष्णता को शांत कर भगवान भोले को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल-अर्पण किया। इस कारण भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व आज भी है तथा शिव पूजा में जल की महत्ता, अनिवार्यता भी सिद्ध होती है।

इस मास में शिव-उपासना से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिवपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं।

संजीवनं समस्तस्य जगतः सलिलात्मकम्।

भव इत्युच्यते रूपं भवस्य परमात्मनः ॥

अर्थात् जो जल समस्त जगत् के प्राणियों में जीवन का संचार करता है वह जल स्वयं उस परमात्मा शिव का रूप है। इसीलिए जल का अपव्यय नहीं वरन् उसका महत्व समझकर उसकी पूजा करना चाहिए।

सावन माह में बुक करें शिव का रुद्राभिषेक , होंगी समस्त विपदाएं दूर 

पार्थिव पूजन का लाभ व महात्यम-

शिवोपासना में पार्थिव पूजा का भी विशेष महत्व होने के साथ-साथ शिव की मानस पूजा का भी महत्व है। इस साल श्रावण मास में चार ही सोमवार पड़ेंगे। तेरह अगस्त को श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन के साथ इस पुण्य पवित्र मॉस का समपान हो जायेगा।

इस मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर कुछ विशेष वास्तु अर्पित की जाती है जिसे शिवामुट्ठी कहते है। जिसमें प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी, दूसरे सोमवार को सफेद तिल् एक मुट्ठी, तीसरे सोमवार को खड़े मूँग एक मुट्ठी, चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी और यदि जिस मॉस में पांच सोमवार हो तो पांचवें सोमवार को सतुआ चढ़ाने जाते हैं और यदि पांच सोमवार न हो तो आखरी सोमवार को दो मुट्ठी भोग अर्पित करते है।

श्रावण माह में एक बिल्वपत्र से शिवार्चन करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। शिव पूजा में शिवलिंग पर रुद्राक्ष अर्पित करने का भी विशेष फल व महत्त्व है क्यूंकि रुद्राक्ष शिव नयन जल से प्रगट हुआ इसी कारण शिव को अति प्रिय है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए महादेव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म तथा भाँग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय है।


लिंग पूजन क्यूँ करते है…?


देह से कर्म-कर्म से देह-ये ही बंधन है, शिव भक्ति इस बंधन से मुक्ति का साधन है, जीव आत्मा तीन शरीरो से जकड़ी है स्थूल शरीर- कर्म हेतु, सूक्ष्म शरीर- भोग हेतु, कारण शरीर -आत्मा के उपभोग हेतु, लिंग पूजन समस्त बंधन से मुक्ति में परम सहायक है तथा स्वयंभू लिंग की अपनी महिमा है और शास्त्रों में पार्थिव पूजन परम सिद्धि प्रद बताया गया है|

श्रावण मास में दिन अनुसार शिव पूजा का फल-

रविवार- पाप नाशक

सोमवार- धन लाभ

मंगलवार- स्वस्थ्य लाभ, रोग निवारण

बुधवार- पुत्र प्राप्ति

गुरूवार- आयु कारक

शुक्रवार- इन्द्रिय सुख

शनिवार- सर्व सुखकारी

श्रावण मास में शिव पूजा हेतु शास्त्रोक्त उत्तम स्थान-

तुलसी, पीपल व वट वृक्ष के समीप

नदी, सरोवर का तट, पर्वत की चोटी, सागर तीर

मंदिर, आश्रम, तीर्थ अथवा धार्मिक स्थल, पावन धाम, गुरु की शरण

शिव पूजा व पुष्प

बिल्वपत्र- जन्म जन्मान्तर के पापो से मुक्ति (पूर्व जन्म के पाप आदि)

कमल- मुक्ति, धन, शांति प्रदायक

कुशा- मुक्ति प्रदायक

दूर्वा- आयु प्रदायक

धतूरा- पुत्र सुख प्रदायक

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आक- प्रताप वृद्धि

कनेर- रोग निवारक

श्रंघार पुष्प- संपदा वर्धक

शमी पत्र- पाप नाशक

शिव अभिषेक व पूजा में प्रयुक्त द्रव्य विशेष के फल-

मधु- सिद्धि प्रद

दुग्ध से- समृद्धि दायक

कुषा जल- रोग नाशक

ईख रस- मंगल कारक

गंगा जल- सर्व सिद्धि दायक

ऋतू फल के रस- धन लाभ

शिव आराधना के मंत्र व अनुष्ठान-


|| नमोस्तुते शंकरशांतिमूर्ति | नमोस्तुते चन्द्रकलावत्स ||

|| नमोस्तुते कारण कारणाय | नमोस्तुते कर्भ वर्जिताय ||

|| ॐ नमस्तुते देवेशाय नमस्कृताय भूत भव्य महादेवाय हरित पिंगल लोचनाय ||

|| ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः ||

|| ॐ दक्षिणा मूर्ति शिवाय नमः ||

|| ॐ दारिद्र्य दुःख दहनाय नम: शिवाय ||

|| वृषवाहनः शिव शंकराय नमो नमः | ओजस्तेजो सर्वशासकः शिव शंकराय नमो नमः ||

श्रावण मास में शिव की उपासना करते समय पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ और ‘महामृत्युंजय’ आदि मंत्र जप बहुत महत्व्यपूर्ण माना गया है। इन मंत्रों के जप-अनुष्ठान से सभी प्रकार के दुख, भय, रोग, मृत्युभय आदि दूर होकर मनुष्य को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। समस्त उपद्रवों की शांति तथा अभीष्ट फल प्राप्ति के निमित्त रूद्राभिषेक आदि यज्ञ-अनुष्ठानचमत्कारी प्रभाव देते है। श्री रामचरित मानस, शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं जाप श्रावण मॉस में विशेष फल कहा गया है।


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