संकष्टी चतुर्थी त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है। भक्त अपने जीवन के संकट से मुक्ति पाने के लिए और खुशहाल जीवन जीने के लिए भगवान गणेश की पूजा अर्चना व उपवास करते हैं। संकष्टी चतुर्थी को और भी कई नामों से जाना जाता है जिसमे संकटहरा चतुर्थी , अंगारकी चतुर्थी भी शामिल है। अंगारकी चतुर्थी 6 महीने में एक बार मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पुरे साल संकष्टी व्रत का फल प्राप्त होता है। यह व्रत लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे पूरा करने पर लोगों के जीवन में ख़ुशी और शांति होती है।
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। माना जाता है कि जीवन में अगर आपको संकट से पीछा छुड़ाना हो तो भगवान गणेश की पूजा करें। इससे आप खुद भी खुश रह सकते हैं और दूसरों को भी खुश रख सकते हैं। लोगों का मानना है कि घर में भगवान गणेश की पूजा करने से भविष्य में आने वाली सारी विपदा दूर हो जाती है और साथ ही साड़ी मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
चंद्र दर्शन चतुर्थी के दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। सूर्यौदय से प्रारम्भ होने वाली यह व्रत चंद्र के बाद सम्पन्न हो जाता है। साल में संकष्टी चतुर्थी के 12 व्रत रखे जाते हैं। सभी व्रत के अपने अलग-अलग कहानियां है। हिन्दू धर्म में सभी लोग इस व्रत को करते हैं।
कहा जाता है कि गणेश जी की पूजा और ध्यान करने से सारे विघ्नों का अंत हो जाता है। और यही कारण है कि लोग उन्हें विघ्न विनाशक भी कहते हैं। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य को भगवान गणेश की आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे कई कार्य सफल होते हैं और वह अपना आशीर्वाद भी बनाए रखते हैं।
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