इस दुर्लभ चतुर्थी के दिन गणेश जी के इन मंत्रों का जाप, देगा हर कार्य में
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संकष्टी चतुर्थी का समय गणेश पूजन के लिए विशेष होता है. हिंदुओं में इस दिन का बहुत महत्व माना गया है, वैसे तो हर माह चतुर्थी तिथि आती है लेकिन इस बार अधिक मास के कृष्ण पक्ष के दिन आने वाली चतुर्थी के दिन दुर्लभ योग होगा. इस दिन संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा जो तीन साल के बाद ही आता है.
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इस कारण यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. ऎसे में आने वाली इस दुर्लभ चतुर्थी का योग मंत्र जाप द्वारा कार्य में सिद्धि को प्रदान करने वाला होगा. आइये जानें किन मंत्रों के जाप से भगवान गणेश प्रसन्न होकर कर देंगे भक्तों के कष्ट दूर
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चतुर्थी गणेश मंत्र
चतुर्थी पूजन में गणेश के निम्न मंत्रों का जप कर सकते हैं. इन मंत्रों के द्वारा सिद्धि एवं भक्ति की प्राप्ति भी संभव हो पाती है.
" ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा "
इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की सिध्दियों के साथ साथ कार्य की सिद्धि का अशीर्वाद भी प्राप्त होता है. यह गणेश जी का सबसे सरल और प्रभावी मंत्र भी माना गया है. इस मंत्र को शुद्ध द्ध चित्त मन से करने से कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
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" ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् "
भगवान श्री गनेश के इस नाम का मंत्र जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होटि है. व्यक्ति को हर काम में सफलता भी मिलती है.
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्,,
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अधिकमास के श्रावण माह परचतुर्थी योग
पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह, के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है और शुक्ल पक्ष के दौरान की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है,
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संकष्टी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाने का समय. प्रत्येक चतुर्थी का अपना विशिष्ट नाम होता है और गणेश जी के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग रुपों में की जाती है. विभुवन संकष्टी चतुर्थी अधिकमास के दौरान आती है इसलिए यह हर तीन साल में आती है, इस संकष्टी विभुवन पालक महागणपति की पूजा की जाती है.