* मंगलवार को रेवडि़याँ या बताशे बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
* तुलसी के पत्ते व काली मिर्च का सेवन करें।
* मंगलवार को गुड़ व मसूर की दाल अवश्य खाएँ।
* गाय को गुड़ या चीनी मिली रोटियाँ खिलाएँ।
* तन्दूर की मीठी रोटियों का दान करें।
* बन्दरों को जलेबी, शकरपारे आदि खिलाएँ।
वैवाहिक विघटन से बचाव : लाल किताब उपाय
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* यदि कन्या के जन्माङ्ग में वैवाहिक विघटन, वैधव्य, पार्थक्य आदि के योग बन रहे हों तो अधोलिखित उपचार करें। विवाहोत्सव में कन्यादान के समय यह प्रयोग करना श्रेयस्कर होता है। जन्माङ्ग में जो ग्रह वैवाहिक कष्ट के लिए उत्तरदायी हो उस ग्रह से संबन्धित रत्न अथवा धातु के बराबर वजन वाले दो टुकड़े लें। कन्यादान का संकल्प लेते समय ये दोनों टुकड़े कन्या के दाहिने हाथ में रखें। कन्यादान तथा विवाह समाप्ति के बाद इनमें से एक टुकड़ा बहते हुए जल में प्रवाहित करें, जबकि दूसरा टुकड़ा अथवा वस्तु कन्या अपने पास आजीवन संभालकर रखे। यह वस्तु जब तक कन्या के पास रहेगी वह तथा उसका वैवाहिक जीवन सुरक्षित रहेगा।
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* बुध खाना नं. 12 में हो कर कष्ट उत्पन्न कर रहा हो तो विवाह के समय स्टील के बने बिना जोड़वाले दो छल्ले लें। एक जातक को पहनाएँ तथा दूसरा जल प्रवाह दें।
* शुक्र खाना नं. 4 में रहकर कष्टकारक हो तो स्त्री से चार महीने के अन्दर दुबारा विवाह करें।
* कन्यादान के समय कन्या को चाँदी की ईंट दें।
* बृहस्पति कृत अशुभ से बचाने के लिए कन्या को शुद्ध सोने का सिक्का दें।
* वैवाहिक विघटन से बचने के लिए विवाह के समय ताँबे के बरतन में साबुत हरी मूंग भरें। ढक्कन बंद करें और संकल्पपूर्वक कन्या का भाई अथवा पिता इसे जल प्रवाह दे।
व्रत
* सोलह सोमवार के व्रत निष्ठापूर्वक करें।
* संतोषी माता का व्रत भी इस दृष्टि से आश्चर्यजनक फल देने वाला है।
* वट सावित्री का व्रत करें।
* मंगलागौरी व्रत व पूजन का अनुष्ठान करें।
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