इसके साथ ही अब इस लेख में हम यह जानेंगे कि राहु कब शुभ फल प्रदाता बनता है तथा कब शुभ स्थिति में राहु कौन से परिणाम दे सकता है।
राहु साफ सफाई कर्मचारियों के जन समूह का प्रतिनिधित्व करता है।
राहु तीसरे , छठे और ग्यारहवें भाव में मौजूद हो तो शुभ फल प्राप्त होता है। तीसरे भाव में स्थित राहु पराक्रम में आशा से परे बढ़ोत्तरी कर देता है। राहु अनुज को बहुत मजबूती देता है।
अगर इस भाव में बैठे राहु को किसी मित्र या शुभ ग्रहों की दृष्टि प्राप्त हो अथवा वह खुद उच्च या उच्चाभिलाषी हो तो अधिक मात्रा में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
छठे भाव में मजबूत स्थिति में बैठा राहु शत्रु व कष्ट रोग नाशक बन जाता है। इस स्थान पर शुक्र व राहु की युति हो तो ऐसी दशा में विशिष्ट शुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसी दशा वाले लोगों के शत्रु नहीं होते और यदि होते हैं तो हार कर समर्पण कर देते हैं। और ऐसे लोगों को शारीरिक रूप से कोई कष्ट नहीं होता वह शारीरिक रूप से काफी हष्ट पुष्ट होते हैं और बीमारी आदि समस्याओं से कोसों दूर होते हैं।
गग्यारहवें स्थान पर मजबूत होकर बैठा राहु भी शुभता का प्रतीक होता है। ऐसे में संबंधित लोगों को कारोबार में, सट्टा लॉटरी , शेयर बाजार आदि में भारी मात्रा में लाभ प्राप्त होता है। ऐसे लोग शत्रु नाशक तो होते ही है और इसके साथ ही व्यापार में भी सफल रहते हैं।
आइए तो जानते हैं अब राहु को प्रसन्न करने के लिए चमत्कारी उपाय -
1. ॐ रां राहवे नमः प्रतिदिन एक माला जप करें।
2. दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
3. पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाएं।
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4. शिवलिंग पर जलाभिषेक करें ।
5. एक नारियल 11 साबुत बादाम काले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।
6. तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल ना करें।
7. ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै । ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल। ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ज्वल हैं हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।
इस मंत्र को शुद्ध उच्चारण के साथ तेज स्वर में पूरी राहु की दशा के दौरान कीजिए आपको शुभ फल की प्राप्त होगी।
8. रत्ती का गोमेद पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जड़वा ले । शनिवार को राहु के बीज मंत्र द्वारा अंगूठी अभिमंत्रित करके दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण कर लें।
राहु बीज मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः (108 बार जप करें)
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