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जानिए क्या है राशि परिवर्तन योग , कैसे मनुष्य प्राप्त करता है इस योग से अपार सफलता

Rekha Arora Updated 18 Jul 2021 10:30 AM IST
Rashi Parivartan Yog
Rashi Parivartan Yog - फोटो : Google
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ज्योतिष में अनेक प्रकार के योगों के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन प्राप्त होता है. इसी में एक योग जो स्थान परिवर्तन योग कहलाता है कुण्डली में विशेष माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रह, भाव, नक्षत्र, राशि की स्थिति कई प्रकार के प्रभावों को जन्म देने वाली होती है. व्यक्ति पर इन सभी का किसी न किसी रुप में असर भी पड़ता है.  इन्हीं में अगर परिवर्तन योग की स्थिति भी बन रही हो तो विशेष प्रभाव देखा जा सकता है. व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार-चढावों में ग्रहों की स्थिति और दशा का संबंध बहुत गहरे असर दिखाने वाला होता है.  जन्म कुंडली में बनने वाले इस परिवर्तन योग के लिए ज्योतिष के आचार्यों ने कई सारे नियमों का उल्लेख किया है. कुंडली में परिवर्तन योग का अर्थ इस बात से समझा जा सकता है कि जब कोई दो या दो से अधिक ग्रह का एक दूसरे की राशि में चले जाना इसे ही परिवर्तन योग कहा जाता है. 

परिवर्तन योग दिला सकता है अपार सफलता:

ज्योतिष में अनेक प्रकार के योगों के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन प्राप्त होता है. कुछ शुभ योग होते हैं तो कुछ अशुभ योग. इन में से जो भी योग जातक की कुंडली में बनता है उस कारण जातक को अपने जीवन में बहुत से अच्छे और बुरे या मिले जुले फलों को भोगना पड़ता है. कुंडली में बनने वाला हर योग किसी न किसी प्रकार से हमें प्रभावित करता है इस योग की श्रेणी में आता है परिवर्तन योग. यह एक ऎसा योग है जो अगर सही रुप में बनता है तो जीवन में यश मान सम्मान और प्रसिद्धि देने वाला बनता है.  

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति  मुकेश अंबानी की कुंडली में भी परिवर्तन योग का निर्माण होता है. इसलिए कहा गया है की एक योग का प्रभाव जीवन को किसी न किसी रुप में प्रभावित अवश्य करेगा. 

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कैसे बनता है परिवर्तन योग:

परिवर्तन योग का निर्माण ग्रहों के एक दूसरे की राशि में स्थित होने से बनता है. इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है. जन्म कुंडली में अगर मंगल शुक्र की राशि में स्थित है और शुक्र ग्रह मंगल की राशि में स्थित हो तो ये एक प्रकार का ग्रहों से बनने वाला राशि परिवर्तन योग बनता है. 

शुभ भावों के स्वामियों का परस्पर परिवर्तन जैसे लग्न व पंचम भाव का परिवर्तन या दो केन्द्रेशों का परिवर्तन या केन्द्र और त्रिकोण भाव मे परस्पर परिवर्तन. त्रिकोण के स्वामियों का परिवर्तन, केन्द्र व त्रिकोण का परिवर्तन राजयोग बनाता है. इसके अतिरिक्त त्रिक भावों के स्वामियों के मध्य परिवर्तन विपरित राजयोग बनाता है. 

परिवर्तन योग को एक सकारात्मक योग माना गया है लेकिन इसी के साथ कुंडली में बन रही इसकी भाव स्थिति और ग्रह स्थिति का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, उसी के अनुरुप इसके फलों को उचित रुप से समझा जा सकता है.

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