ऐसी मान्यता है भगवान श्री राम का जन्म चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था जिसे राम नवमी के नाम से मनाया जाता है। भगवान राम ने अपना पूरा जीवन धर्म और मर्यादा की रक्षा करते हुए बीता दिया जिसमें उन्हें अनेक तरह के कष्ट का सामना करना पड़ा किन्तु उन्होंने धर्म का साथ नहीं छोड़ा जिसके कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है।
वैसे तो पूरे भारत में राम नवमी मनायी जाती है किन्तु राम की जन्म भूमि अयोध्या की बात ही अलग होती है जहाँ बहुत भारी उत्सव किया जाता है ।
पूरी अयोध्या की जनता बहुत हर्ष उल्लास से इस त्यौहार को मनाती है । किन्तु इस बार कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए इसे बहुत सीमित तरीके से मनाया जाएगा ।
आज हम जानेगें कैसे करें भगवान राम को प्रसन्न कैसे करें उनकी पूजा
जैसा की आप सब अवगत है कि इस बार 21 अप्रैल दिन बहुवार को राम नवमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। मान्यता अनुसार राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी के दिन दोपहर के समय हुआथा । ये भी मान्यता है कि उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र था । साथ ही चन्द्रमा भी कर्क राशि में था और वहीं लगभग सारे ग्रह उच्च के थे।
चैत्र नवरात्रि का कैसे है इसे सम्बन्ध
चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के साथ होता है. शास्त्रों के अनुसार, राम नवमी भगवान रामके जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। राम नवमी इस बार 21 अप्रैल को मनाई जाएगी ऐसी मान्यता है। कि राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी के दिन दोपहर के समय हुआ था. ये भी मान्यता है कि उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र था. साथ ही चन्द्रमा भी कर्क राशि में था और वहीं लगभग सारे ग्रह उच्च के थे ।श्रीराम जी के साथ नवरात्रि के अंतिम दिन मां के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की भी उपासना की जाती है।
नवमी मुहूर्त
ज्योतिष गणना अनुसार, राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त बुधवार, 21 अप्रैल सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. पूजन मुहूर्त की कुल अवधि 02 घंटे 36 मिनट रहेगी।
राम नवमी पूजन विधि
नारद पुराण के अनुसार राम नवमी के दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए । घर के मंदिर में भगवान भगवान राम की मूर्ति की स्थापना करें और दीपक जलाएं. श्रीराम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद रामायण और राम रक्षास्त्रोत का पाठ करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान दें. इसके बाद भगवान श्रीराम की पूजा संपन्न करनी चाहिए।
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क्यों मनाई जाती है राम नवमी
मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था. इसी उपलक्ष्य में इस नवमी को रामनवमी के रूप में जाना जाता है । रामनवमी में हर वर्ष देश के कोने-कोने से यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. सुबह से ही सरयू स्नान और मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है. इस दिन मंदिरों में बधाई और सोहर के गीत गूंजने लगते हैं. इस अवसर पर दूर-दराज से आए लोग भगवान राम के जन्म पर सोहर गीत गाते हैं और धूमधाम से नाचते हैं ।
सुखी जीवन पर खास पूजा
राम नवमी पर प्रात:काल में स्नान कर पीले वस्त्र पहनें. लाल कपड़े बिछाकर सीता राम जी की तस्वीर रखें. शुद्ध घी या तिल तेल दीपक जलाएं साथ ही चंदन की अगरबत्ती जलाएं. गुलाब, फूल, माला और गुलाम पुष्प चढ़ाएं. सफेद मिठाई और कोई सफ़ेद फल चढ़ाएं. इस मंत्र ॐ रामाय नमः। ॐ श्रीं रामाय नमः ।ॐ क्लीं रामाय नमः का जाप करें.
संकल्प :-
अब संकल्प करें। संकल्प के लिए दायें हाथ में गंगाजल(गंगाजल न हो तो शुद्ध जल में तुलसी पत्र डाल दें), फूल, अक्षत, पान(डंडी सहित),सुपारी,कुछ सिक्के हाथ में लेकर मंत्र के द्वारा रामनवमी पूजा का संकल्प करें :-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे चैत्रमासे शुक्लपक्षे नवमीतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं रामनवमी पूजा करिष्ये। उक्त संकल्प के बाद जल को भूमि पर छोड़ दें ।
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