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जानिए राधा अष्टमी व्रत का महत्व, सही मुहूर्त और पूजन विधि

My Jyotish Expert Updated 14 Sep 2021 12:11 PM IST
Radha Ashtami 2021
Radha Ashtami 2021 - फोटो : google photo
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हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के बाद 15 दिन के बाद राधा अष्टमी का व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत ठीक 14 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को रखा जाएगा। यह व्रत अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है। इस पर को विशेष तौर पर रखने का कारण यह माना जाता है कि जो भी महिला या लड़की यह व्रत रखती है तो उसके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान अपने आप ही हो जाता है। और इस व्रत को विशेष तौर पर लड़कियां रखती हैं जिसका कारण भगवान श्री कृष्ण जैसे पति की प्राप्ति करना माना जाता है। और स्त्रियां इस व्रत को रखने का कारण अपने पुत्र की सुख समृद्धि और परिवार की तरक्की के लिए रखती हैं। शास्त्रों में यह माना गया है कि राधा मां लक्ष्मी का है अवतार थे। इसलिए इसे राधा रानी श्री कृष्ण की सुख समृद्धि और उनकी रक्षा के लिए रखा करती थी। ठीक इसी प्रकार यह व्रत पुराणिक समय से आज तक अपने प्रियवर की रक्षा और उसकी सुख समृद्धि के लिए रखा जाता आ रहा है। इसीलिए इस पद का महत्व तब से लेकर आज तक बिल्कुल भी कम नहीं हुआ है।

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महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का महत्व स्त्री और लड़कियां अपने परिवार की सुख सुविधा और अपने संतान की सुख के लिए रखती हैं। राधा को श्री कृष्ण की बाल साथी और उनकी एक तरह से लक्ष्मी के अवतार में अर्धांगिनी भी माना जाता है। यही कारण है कि यह व्रत अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है।

आइए जानिए पूजा की पूरी प्रक्रिया

•    प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं। और स्नान कर तन और मन से स्वच्छ हो जाएं। और साफ कपड़े पहन ले।
•    इसके बाद अगर आपके घर में मंडप है या आंगन के बीच में एक मंडल बना ले। मंडप के मध्य मिट्टी या तांबे का लोटा पानी से भर कर रखते दे।
•    अब तांबे के लोटे पर या अगर आपने मिट्टी का लोटा रखा है तो उसको एक तांबे की प्लेट से ढक दें।
•    अब आप उस पर वस्त्र आभूषण से सुसज्जित राधा रानी को बिठा दे।
•    आरती का सारा सामान तैयार करने। आरती की थाली में सुहागन के निशानियां जैसे सिंदूर, चुनिया, काजल, बिंदी और आदि समान आरती में अवश्य ही रखें।
•    अब राधा रानी की मन से षोडशोपचार से पूजा शुरू करें।
•    राधा रानी की पूजा ठीक मध्याह्न के समय ही शुरू करें।
•    पूजा के बाद पूरे दिन का उपवास करें या एक समय चाहे शाम या सुबह की रोटी भी खा सकते है।
•    आप लोगों को पूजा के बाद आरती भी आवश्यक रूप से करनी है।
•    आरती समाप्त होने के बाद आप स्वयं और अपने पुत्र और पति को भी प्रसाद ग्रहण करने को दें।
•    शाम के समय एक दिया तुलसी माता के सामने जगाए। और कृष्णा को याद करें।
•    अगले दिन किसी ब्राह्मण या किसी विवाहित स्त्री को भोजन करवाएं और दक्षिणा भी दे।

व्रत का सही समय 

इस बार राधा अष्टमी का व्रत 14 सितंबर को प्रारंभ हो जाएगी। 
राधा अष्टमी का व्रत का प्रारंभ 13 सितंबर रात्रि 3:00 बज कर 10 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा।
और समाप्ति का समय 14 सितंबर है रात्रि 1:00 बज करें 9 मिनट तक रहेगा।
आपने राधा अष्टमी के व्रत के बारे में अच्छे से जान लिया है अब आप इस व्रत को हर साल अवश्य रूप से रखें यह व्रत आपके और आपके परिवार में सुख समृद्धि और संतान की प्राप्ति सुखों में वृद्धि में मदद करेगा।

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