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प्रदोष व्रत: जानें बुध प्रदोष व्रत की कथा और दिन के अनुसार इसके बदलते महत्व

myjyotish expert Updated 05 Jul 2021 02:38 PM IST
प्रदोष व्रत: जाने बुध प्रदोष व्रत की कथा और दिन के अनुसार इसके  बदलते महत्व
प्रदोष व्रत: जाने बुध प्रदोष व्रत की कथा और दिन के अनुसार इसके बदलते महत्व - फोटो : google
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प्रदोष व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न रखने के लिए किया जाता है। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से हर महीने के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है । यह तिथि हर महीने में दो बार होती है। यही कारण है कि यह व्रत 1 महीने में दो बार रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत का महत्त्व अत्यंत लाभकारी है। इस दिन  प्रदोष काल में महादेव की उपासना की जाती है। 

प्रदोष व्रत बेहद आसान होता है। क्योंकि इसके लिए व्यक्ति को कभी भी  किसी खास तरीके से पूजा करने की जरूरत नहीं पड़ती। शंकर जी के अनेकों नाम है । उनमें से एक नाम भोलेनाथ भी है। क्योंकि वे अपने भक्तों को माफ करके आसानी से इनपर  प्रसन्न हो जाते हैं और कल्याण करते हैं। इस व्रत को अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। 7 जुलाई को इस महीने का पहला प्रदोष व्रत है। यह व्रत इस बार बुधवार के दिन है। आगे हम आपको बुधवार के साथ साथ सप्ताह के हर दिन के प्रदोष व्रत का महत्व और इसकी कथा बताने जा रहे हैं।

सोमवार : यह भोलेनाथ का प्रिय दिन होता है। इस दिन को होने वाले व्रत रखने से  मन की सारी कामनाएं पूरी हो जाती है। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होती है।

मंगलवार: इस दिन व्रत करने से मंगल के प्रकोप से मुक्ति मिलेगी। यदि आप लम्बे समय से बीमार हों तो इसमें भी सुधार होगी।

बुधवार: इस दिन के व्रत करने  से बच्चों पर असरदार होता है। बच्चों की बुद्धि तेज तरार  रखने में यह व्रत लाभकारी है।

गुरुवार: इस दिन व्रत रखने से वितरण पितरों से आशीर्वाद विनती है और दुश्मनों का नाश होता है।

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शुक्रवार: इस दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन मंगलकारी होता है। और भाग्य की मार्ग खुलती  है। इससे दरिद्रता भी खत्म होती है। 

शनिवार: इस दिन के व्रत से संतान योग बनते हैं । मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके साथ हीं शनि  के अशुभ प्रकोप से भी आप बचेंगे।

रविवार: इस दिन प्रदोष व्रत को रखने से व्यक्ति का सेहत ठीक रहता है। वे दीर्घायु होते हैं। इससे मान, सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।

जानें प्रदोष व्रत कथा_

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