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Home ›   Blogs Hindi ›   Pradosh vrat pujan vidhi mantra shubh muhurat significance

जानिए क्या होता है प्रदोष व्रत और क्या है इसकी पूजन विधि, मंत्र व सही मुहूर्त

My Jyotish Expert Updated 14 Nov 2021 02:47 PM IST
pradosh varat
pradosh varat - फोटो : google
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सनातन धर्म के पंचाग के अनुसार हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को  रवि प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है. इस दिन भगवान शिव के लिए व्रत, पूजा-अर्चना आदि की जाती है. प्रदोष व्रत भगवान शिव के प्रिय व्रत में से एक है . हिन्दू धर्म   के मान्यताओं की मानें तो  कहता हैं कि इस दिन व्रत करने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही सप्ताह के दिन के हिसाब से भी इस व्रत का फल मिलता है. 


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पंचांग गणना के अनुसार  इस साल यह पर्व अश्विन मास शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 17 अक्टूबर, दिन रविवार को शाम 05 बजकर 39 मिनट से होगा। जो कि 18 अक्टूबर, दिन सोमवार शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर को माना जाएगा। इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा आज का लेख इसी प्रदोष व्रत पर इस व्रत करने की विधि किया हैं.  साथ ही इस बार का  शुभ  मुहूर्त  किया रहने वाला है , आए इस बारे जानते हैं.



- रवि प्रदोष का शुभ का दिन ? 

• प्रदोष की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर को माना जाएगा। इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।


-: प्रदोष व्रत पूजन विधि

• अगर आप भी इस बार भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत रखने का सोच रहे हैं, तो उससे पहले प्रदोष व्रत की पूजन विधि जान लेना जरूरी है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में धूप-दीप प्रज्वलित करके व्रत का संकल्प करें. इसके बाद तांबे के पात्र में जल लें. और उसमें रोली और फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. व्रत के दिन निराहार रहते हुए भगवान शिव का स्मरण करें और व्रत करें. इसके बाद शाम को प्रदोष काल (रात होने से पहले और सूर्यास्त होने के बाद का समय) में फिर से शिव जी का पूजन किया जाता है. दूध, दही, शहद आदि से भोलेशंकार का अभिषेक करें. इसके बाद गंगा जल से अभिषेक करने के बाद चंदन लगाएं और फिर फल-फूल और मिष्ठान आदि. कहते हैं इस दिन भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का उच्चारण करना लाभकारी होता है. विधिवत पूजन करने के बाद मंत्र उच्चारण करें और आरती करें. 


-  रवि प्रदोष व्रत 2021: मंत्र

•  ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

•  तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्

•  नमो भगवते रुद्राय:




- : प्रदोष व्रत करने से मिलेंगे यह फल 


• भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत उत्तम उपाय है. कहते हैं प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. कहते हैं कि रवि प्रदोष व्रत के कई लाभ होते हैं. इस दिन व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि व निरोगी काया की प्राप्ति होती है. इस बार रविवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण सूर्यदेव की कृपा भी प्राप्त होती है. इस दिन व्रत पूजन करने से सूर्य देव की कृपा भी मिलेगी. इतना ही नहीं, आपको मान-सम्मान व प्रतिष्ठा भी प्राप्त होगी.


- : रवि प्रदोष व्रत मनाने के पिछे इतिहासिक कहानी 

•  हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव और उनके पर्वत नंदी ने प्रदोष काल के दौरान देवताओं को राक्षसों से बचाया था.

यही कारण है कि भक्त प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव से परेशानी मुक्त, आनंदमय, शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए आशीर्वाद लेने के लिए उपवास रखते हैं 



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