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जानिए प्रदोष व्रत क्या है और इसे करने से मिलेंगे क्या क्या लाभ

My Jyotish Expert Updated 27 Sep 2021 05:51 PM IST
Pradosh vrat
Pradosh vrat - फोटो : Google
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जैसे कि प्रत्येक माह में हर तिथि दो बार होती है जैसे ऐकादशी दो बार एक बार शुक्ल पक्ष की और एक बार कृष्ण पक्ष की। वैसे ही त्रयोदशी भी दो बार बाती है जिसमें प्रदोष भी होता है, वैसे तो ज़्यादातर प्रदोष त्रयोदशी( तेरस) के दिन ही होता है लेकिन कभी कभी वो द्वादशी (बारस) के दिन भी होता है और अगर प्रदोष शनिवार के दिन आए तो उसे शनि प्रदोष कहते हैं।

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शनि प्रदोष में व्रत से होने वाले लाभ को जानते हैं:-

1. पुत्र रत्न की प्राप्ति :- प्रदोष का केवल व्रत रखने ओर साधारण पूजा करने मात्र से ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
2.मनोकामना पूरी:- शनि प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।
3. नोकरी में पदोन्नति:- प्रदोष व्रत से नोकरी में सफलता व पदोन्नति होने के भी आसार रहते हैं।
4. शिव जी का आशीर्वाद मिलता है:- प्रदोष व्रत रखने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
5. अभीष्ट फल की प्राप्ति:- शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से जल्द से जल्द कार्यसिद्धि होती है और अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। सर्वकार्य सिद्धि के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और जल्दी पूर्ण होती है। 
7. चंद्र दोष दूर होता है: प्रदोष व्रत रखने से आपका चंद्र दोष दूर होता है। अर्थात शरीर में बसा चंद्र तत्व सुधर जाता है। और मान्यता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधर जाता है, जिससे बुध भी सुधार होता है।


 प्रदोष व्रत के नियम:-

 इस व्रत को करने के कई नियम हैं जैसे कुछ लोग इस व्रत में फलाहार पर रहते हैं तो कुछ लोग साबूदाने का सेवन करते हैं तो कुछ लोग इस व्रत को निर्जला भी करते हैं। तो कई लोग इस व्रत में हरे मूंग का सेवन भी करते हैं क्योंकि हर मूंग प्रथ्वी का तत्व है और मंदाग्नि को शांत भी रखता है।प्रदोष व्रत में लाल मिर्च,सादा नमक,किसी भी प्रकार का अन्न व धान का सेवन नहीं करना चाहिए।
 इस दिन सूर्योदय से पहले उठ कर सारे नित्यकर्म निपटा लें, फिर स्नान के बाद श्वेत वस्त्र धारण कर मंदिर को साफ करें फिर गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें। इस मंडप के नीचे 5 अलग अलग रंगो की रंगोली बनाएं। फिर उत्तर पूर्व दिशा की ओर बैठें ओर शिव आराधना करें। और पूरे दिन किसी भी प्रकार का अन्न न ग्रहण करें।

 प्रदोष व्रत कथा:-

प्रदोष को "प्रदोष" कहने के लिए एक कथा है।
जो कि इस प्रकार है कि:-"चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्यु के समान कष्ट हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण करने के लिए उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था और इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
 पद्म पुराण की 1 कथा के मुताबिक चंद्रदेव जब अपनी 27 पत्नियों में से सिर्फ एक पत्नी रोहिणी से ही सबसे ज्यादा प्यार करते थे और बाकी 26 को उपेक्षित रखते थे जिस कारण उन्हें श्राप दिया था जिससे उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। ऐसे में अन्य देवताओं ने उन्हें शिवजी की आराधना की सलाह दी और उन्होंने जहां आराधना की वहीं एक शिवलिंग स्थापित किया। जिससे शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें न केवल दर्शन दिए बल्कि उनका कुष्ठ रोग भी दूर कर दिया। चन्द्र देव का एक नाम "सोम" भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इस स्थान का नाम 'सोमनाथ' हो गया।"
 
साथ ही इस व्रत को करने के अन्य लाभ भी है:-

 • मानसिक बैचेनी खत्म होती है : हर माह के दो प्रदोष के व्रत रखने से मन की बैचेनी और भय का समाधान होता है। इससे दरिद्रता भी चली हो जाती है। 
 • शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है: शनि प्रदोष के दिन व्रत रखने से शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है। 
10. लंबी आयु प्राप्त होती है: इस व्रत को करने से जातक को आयु लंबी हो जाती है। तथा मान्यता है कि ये व्रत रखने वाले जातकों के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष भी प्राप्त होता है। 



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