प्रदोष व्रत 2022: महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र
प्रदोष व्रत में भक्त बड़ी भक्ति के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा कर रहे हैं. भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित यह दिन सुख एवं सौभाग्य प्रदान करने वाला समय होता है. यह व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत महीने में दो बार यानी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है. गुरु प्रदोष व्रत 8 सितंबर 2022 को शुक्ल पक्ष में मनाया जा रहा है.
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प्रदोष व्रत को उसके दिन के नाम से भी जाना जाता है जैसे सोमवार को दिन पड़ने पर इसे सोम प्रदोषम या चंद्र प्रदोषम कहा जाता है. मंगलवार के दिन इसे भौम प्रदोषम कहा जाता है. बुध के दिन बुध प्रदोष, बृहस्पति वार के दिन गुरु प्रदोष, शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोषम के रूप में जाना जाता है
प्रदोष व्रत 2022 पूजा विधि महत्व
सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है, जिसके दौरान भक्त शुद्ध और पवित्र विचारों को बनाए रखते हैं, भजन कीर्तन करते हैं और किसी भी बुरे कार्य या विचार से खुद को दूर रखते हैं. कुछ भक्त इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा भी करते हैं.
प्रदोष का अर्थ है, संबंधित या शाम का पहला भाग. प्रदोष व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है.प्रदोष के इस पवित्र दिन पर उपवास रखने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए और अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करना चाहिए. भगवान शिव, देवी पार्वती की मूर्ति को भगवान गणेश और स्कंद के साथ रखें जिसे शिव परिवार की मूर्ति कहा जाता है.
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मंदिर में मूर्ति स्थापित करने के बाद, दीया जलाना चाहिए, लाल और सफेद सिंदूर या फूल, सफेद मिष्ठान जैसे बर्फी या खीर अर्पित करना शुभ होता है. शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा और भगवान शिव की आरती का पाठ करना चाहिए. घर में पूजा करने के बाद मंदिर जरूर जाना चाहिए. प्रदोष के दिन भक्तों को शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए, जो अत्यंत शुभ माना जाता है.
भक्तों को पंचामृत से जिसमें दूध, दही, चीनी, शहद और घी का मिश्रण होता है इससे अभिषेक करना चाहिए.भगवान शिव को इत्र एवं वस्त्र भी चढ़ाने चाहिए. भगवान शिव को बेल पत्र, भांग, धतूरा का भोग लगाना चाहिए.सभी कारों को पूरा करने के बाद, शाम को सूर्यास्त के बाद अपना उपवास तोड़ सकते हैं और अपनी पसंद के अनुसार सात्विक भोजन कर सकते हैं.
प्रदोष व्रत शुभ लाभ
प्रदोष व्रत का पालन करने वाले भक्तों को न केवल अपने लिए बल्कि परिवार के लिए भी मन की शांति, अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है. प्रदोष व्रत आध्यात्मिक उत्थान के लिए भी मनाया जाता है. यह अविवाहित लड़कियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जो प्रदोष के दिन व्रत रखती हैं. महिला भक्तों को देवी पार्वती को कम से कम 5 श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए. मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
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