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Home ›   Blogs Hindi ›   Pitra Paksha: Due to these 7 mistakes in Pitra Paksha, one can get curse from ancestors instead of blessings!

Pitra Paksha: पितृपक्ष में इन 7 गलतियों के कारण पितरों से आशीर्वाद की जगह मिल सकता है श्राप !

Myjyotish Expert Updated 20 Sep 2022 01:07 PM IST
Pitra Paksha: पितृपक्ष में इन 7 गलतियों के कारण पितरों से आशीर्वाद की जगह मिल सकता है श्राप !
Pitra Paksha: पितृपक्ष में इन 7 गलतियों के कारण पितरों से आशीर्वाद की जगह मिल सकता है श्राप ! - फोटो : google
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Pitra Paksha: पितृपक्ष में इन 7 गलतियों के कारण पितरों से आशीर्वाद की जगह मिल सकता है श्राप !


पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण आदि से जुड़ी वो कौन सी बड़ी गलतियां हैं, जिनके कारण व्यक्ति को उनके श्राप को झेलना पड़ता है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

(सनातन धर्म ) में पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा से प्रारंभ हुआ पितृपक्ष 25 सितंबर 2022 को आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होगा. सनातन परंपरा में पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दौरान पितरों या फिर कहें घर-परिवार के दिवंगत लोगों की आत्मा की मुक्ति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान से श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है. 

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मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान सभी पितर यमलोक से पृथ्वी पर आते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके वंशज उन्हें तृप्त करने के लिए सभी नियमों का पालन करते हुए उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण एवं दान करेंगे. आइए पितृपक्ष से जुड़े उन नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिनका पालन करने पर हमें पितरों का आशीर्वाद और उसकी अनदेखी करने पर श्राप मिलता है. सभी नियमों का पालन कर सकें और कोई भूल ना करें.

किसी भी जीव को हानि ना पहुंचाएं :
मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पितर हमसे मिलने के लिए कीट-पतंगे या फिर जानवर आदि के रूप में आते हैं. ऐसे में पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी किसी भी जानवर या कीट-पतंगों आदि को मारना या सताना नहीं चाहिए.पितृपक्ष में घर में किसी भी तरह की कलह को न पैदा होने दें.

किसी भी परिजन से झगड़ा ना करें :
परिजनों के साथ झगड़ों से पितरों को कष्ट पहुंचता है और वे दु:खी होकर बगैर अपना आशीर्वाद दिए लौट जाते हैं.पितृपक्ष में जो व्यक्ति अपने पुरखों या फिर दिवंगत व्यक्ति को कोसता है या फिर उनका अपमान करता है, ऐसे व्यक्ति के यहां से पितर नाराज होकर वापस लौट जाते हैं, जिसका उसे भविष्य में बुरे परिणाम भुगतना पड़ता है.

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करें कुछ विशेष परहेज :
पितृपक्ष में भूलकर भी मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. यदि आपको पितृपक्ष के दौरान कोई बड़ी उपलब्धि हासिल होती है तो उसकी खुशियां या फिर कहें सेलिब्रेशन पितृपक्ष की समाप्ति के बाद मनाना चाहिए.

ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं :
पितृपक्ष में पितरों का विधि-विधान से श्राद्ध करने के साथ ब्राह्मणों को भोजन करा कर अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र एवं दक्षिणा जरूर दान करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि ऐसा करते समय भूलकर भी किसी भी प्रकार अभिमान या दिखावा नहीं करना चाहिए.

खाने पीने में परहेज करें :
पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी किसी भी प्रकार का नशा, मांसाहार, आदि नहीं करना चाहिए. पितृपक्ष के दौरान प्याज, लहसुन, मसालेदार भोजन, लौकी, आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए.पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध के नियम को निभा रहे व्यक्ति को पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

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