क्यों लगता है पितृ दोष, जानें सही वजह और मुक्ति पाने के लिए क्या करें खास उपाय
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। पितृ पक्ष में ही पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।पितृपक्ष न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिष की दृष्टि से भी बहुत ज्यादा महत्व रखता है , क्योंकि पितरों की पूजा करने से न सिर्फ उनका आशीर्वाद मिलता है बल्कि कुंडली से जुड़ा पितृदोष भी दूर हो जाता है। पितृ पक्ष में कोई भी व्यक्ति शुभ काम नहीं कर सकता है। पितरों को श्राद्ध देने की शुरुआत वैदिक काल के बाद से शुरू हुआ।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
पितृ पक्ष के नियम का जो पालन नहीं करता उसके पितर कभी खुश नहीं रहते है। कहते है की अगर आपके पितर खुश है तो आपके घर परिवार में खुशहाली बनी रहती हैं। अगर पितृ नाराज हो जाते हैं तो कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का झेलना पड़ता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर देव पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपनें वंशजों द्वारा किए गए तर्पण, पिंडदान से तृप्त होते हैं। जो ऐसा नहीं करता उससे उनके पितर खुश नहीं रहते है। आइए पितृ दोष से संबंधी कुछ जरूरी बातें जानते हैं।
पितृ दोष क्यों लगता है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसके क्रिया कर्म अधूरा रह जाता हैं तो तब पितर नाराज हो जाते है। तो कभी भी मृतक इंसान के श्राद्ध और पूजा में कोई कमी नहीं कर सकता है।
परिवार में अगर किसी व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है तो उस परिवार को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष लगाना तय है। अगर ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो इसमें किसी भी परिवार पितृ दोष लगाना बहुत ही अशुभ माना गया हैं। पितृ दोष की वजह से जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में इंसान को पितर शांति पूजा करना जरूरी होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मृत्यु के बाद जब परिजनों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है तो ऐसे में पितृ दोष लगता है। इसके अलावा माता-पिता का अनादर या अपमान करने पर भी पितृ दोष लगता है।
पितृ दोष सिर्फ अपने पितरों के वजह से नहीं लगता बल्कि पीपल, नीम और बरगद के पेड़ काटने, जाने-अनजाने में नाग की हत्या करने से और किसी निसहाय निहत्थे की हत्या करने से पितृ दोष लगता है।
पितृ दोष के उपाय
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अगर पितृ दोष है तो आप पितृ पक्ष में पूरे विधान से पितृ दान , तर्पण और श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
पितृ पक्ष में पितरों के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा दिया जाता है। साल के अमावस्या और एकादशी चतुर्थी को अपने पितर को जल अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही त्रिपिंडी श्राद्ध भी किया जाता है।
पितृ दोष शांति के लिए पितृ पक्ष में रोज दोपहर को पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल वृक्ष के पास गंगाजल में काले तिल, दूध, अक्षत और फूल मिलाकर अर्पित करना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान किसी भी जरुरतमंद को भोजन कराएं। इसके साथ ही उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार दान दक्षिणा दें। इसके अलावा किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद कर सकते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं। ऐसे कर्म करने से पितृ दोष में शांति मिलती है।
घर में अपने पितरों की तस्वीर को हमेशा दक्षिण दिशा में ही लगाएं। पितृ पक्ष के दौरान रोज उनसे अपनी गलती की क्षमा मांगे। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान ऐसा करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होने लगता है।
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