हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि " नित्य देवाचरने होमें संध्याया श्राद्ध कर्माणि"
यह शास्त्र का प्रमाण है जिसमें लिखा है कि हर व्यक्ति को नित्य पूजन पाठ जरूर करना चाहिए। श्राद्ध और नित्य का तर्पण जरूर करना चाहिए। महालया श्राद्ध जिसे 16 श्राद्ध भी कहां जाता है उसमें भी अपने देव पूजा नहीं छोड़नी चाहिए। भगवान की पूजा कभी भी नहीं छोड़नी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवत पूजन नित्य पूजन होता है और मान्यता है कि नित्य पूजन किसी भी अवसर पर नहीं छोड़ा जाता ।
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पुराणों में लिखा है किसी की भी मृत्यु होने के बाद भी मन में भगवान का नाम जरूर लेना चाहिए और मन में पूजा जरूर करनी चाहिए। जिस दिन श्राद्ध करें उस दिन बसंत ना बजाएं।
क्या गया में श्राद्ध करने के बाद घर में श्राद्ध करना चाहिए या नहीं?
अगर गया में जाकर पिंड दान कर दिया गया है तो वह शुभ है। कहा जाता है कि वहा श्राद्ध करना बहुत अच्छा होता है और हमारे पितृ को मुक्ति प्रदान करता है। लेकिन किसी शास्त्र में यह नहीं लिखा कि गया में पिंडदान करने के बाद अपने घर में श्राद्ध नहीं कर सकते। पुराण में यह कहा गया है कि जब भी मौका मिले तो गया में जाकर पिंड दान करें यह नहीं कि सिर्फ एक ही बार पिंड दान करें।
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गया में पिंडदान करने से बहुत फल मिलता है। शास्त्र में लिखा है "तस्य देशा कुरूक्षेत्रम गया गंगा सरस्वती प्रभास पुष्कर चैती श्राद्ध महा फलम" ।
तो गया में पिंडदान करने के बाद भी हम अपने घर में श्राद्ध कर सकते हैं ।
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