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जानिए इस बार पितृपक्ष में क्या है खास और अन्य महत्वपूर्ण बातें

my jyotish expert Updated 22 Sep 2021 06:18 PM IST
shradh 2021
shradh 2021 - फोटो : google photo
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 हर साल की तरह पितृ पक्ष के 16 दिन फिर से शुरू हो गए हैं। पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर 2021 तक चलेगा। आमतौर पर श्राद्ध पक्ष कुल 16 दिनों तक चलता है। लेकिन इस बार का श्राद्ध पक्ष16 दिनों की बजाय 17 दिनों तक चलेगा। जिसका कारण पंचमी तिथि का 2 दिन रहना है।आमतौर पर हम सभी श्राद्ध के दिनों में मांगलिक काम नहीं करते हैं। लेकिन विद्वानों की माने तो हम खरीददारी और लेन-देन तथा शुभ कामों को कर सकते हैं।श्राद्ध पितरों की तृप्ति के लिए किया जाता है। हमारे पुराणों में श्राद्ध को तीर्थ स्थानों पर जाकर करने के लिए बताया गया है। श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराना चाहिए। ब्राह्मणों के खाने के लिए जो भोजन बनाया जाए उसमें लहसुन प्याज तेल मसाला  कम होना चाहिए । श्राद्ध पक्ष में खीर भी बनाए जाने की प्रथा है। कुछ लोगों का अंतिम संस्कार विधि विधान से नहीं हो पाता है उनके लिए ग्रंथों में सूर्य पूजा बताई गई है। श्राद्ध पक्ष में पके हुए अन्न दान का विशेष स्थान है। श्राद्ध पक्ष में यह भी मान्यता है कि कौए व गाय को भोजन भी कराना चाहिए इन को भोजन कराने से कहा जाता है कि वह भोजन हमारे पितृ देव करते हैं।        

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 श्राद्ध के 16 दिन- 1.पूर्णिमा श्राद्ध 2.प्रतिपदा श्राद्ध 3.द्वितीया श्राद्ध 4.तृतीया श्राद्ध 5.चतुर्थी श्राद्ध 6.पंचमी श्राद्ध 7.षष्टी श्राद्ध 8.सप्तमी श्राद्ध 9.अष्टमी श्राद्ध 10.नवमी श्राद्ध 11.दशमी श्राद्ध 12.एकादशी श्राद्ध 13.द्वादशी श्राद्ध 14.त्रयोदशी श्राद्ध 15.चतुर्दशी श्राद्ध तथा 16.अमावस्या।    
             
मृतकों का श्राद्ध कब कब करें: श्राद्ध के 16 दिन जो ऊपर बताए गए हैं उनमें से किसी भी तिथि में आपके परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु होती है। उस दिन कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष कुछ भी हो, जब यह दिन पितृपक्ष में आते हैं तब उस तिथि में जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है। उस दिन उसका श्राद्ध करने का नियम है। नियम के मुताबिक श्राद्ध को दोपहर में ही किया जाना चाहिए। श्राद्ध को किस तिथि में किया जाए और कौन सा श्राद्ध किया जाए यह भी महत्वपूर्ण और ध्यान देने योग्य बात है।  
                              
 1. यदि आपके परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु पूर्णिमा को हुई है। तब श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को किया जाता है। भाद्रपद शुक्ल को आश्विन कृष्ण अमावस्या को भी कहते हैं।                

2. यदि किसी सुहागन स्त्री की मृत्यु हो जाती है तब उसका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए। पितृपक्ष में नवमी को अविधा नवमी भी कहा गया है।                 
 
3. किसी व्यक्ति की माता की दुखद मृत्यु हो गई है। तब उसका श्राद्ध भी नवमी को किया जा सकता है। इस दिन परिवार में जितनी भी माता एवं स्त्रियों का निधन हो जाता है।उनका श्राद्ध किया जाता है। इसीलिए इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहते हैं।                                                

4.जो व्यक्ति गृहस्थ आश्रम से संन्यास ले लेते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। उनका श्राद्ध एकादशी के दिन किया जाता है। लेकिन सन्यासियों के श्राद्ध की तिथि को द्वादशी भी माना गया है।            

5. जिन बच्चों की मृत्यु हो जाती है। उनका श्राद्ध कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी  के दिन किया जाता है।          

 6. जिन व्यक्ति की मृत्यु  किसी दुर्घटना वश या आकस्मिक हो जाती है उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में किया जाता है।      
                                     
7. श्राद्ध के दिनों में ही सर्व पितृ अमावस्या होती है उस दिन हम जिन पितरों को जानते हैं या जिन को नहीं जानते हैं उस दिन उनका श्राद्ध होता है । इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।                                            
 8. जो तिथियां बच जाती हैं उस दिन उनका श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु कृष्ण या शुक्ल पक्ष को हुई हो।


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