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Shradh Puja: किस प्रकार संपन्न की जाती है नवमी श्राद्ध की पूजा ? जानें महत्व 

Myjyotish Expert Updated 10 Sep 2020 05:00 PM IST
Pitra Paksha Navmi Puja
Pitra Paksha Navmi Puja - फोटो : Myjyotish
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श्राद्ध का 1 दिन महिलाओं के लिए समर्पित होता है। इस दिन को महानवमी भी कहते हैं। आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म किया जाता है। नवमी तिथि का श्राद्ध पितृ पक्ष में बहुत श्रेष्ठ श्राद्ध माना गया है। नवमी तिथि को माता और परिवार की विवाहित महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है। इस दिन, यानी नवमी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई होती है उनको भोजन करवाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। 2 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और इस बार श्राद्ध पक्ष में नवमी तिथि 11 सितंबर को है।

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अगर किसी महिला की मृत्यु हो गई है और मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि पर किया जाता है। मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से जातकों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।  शास्त्रों के अनुसार मातृ नवमी का श्राद्ध करने वालों को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य प्राप्त होता है और इनका सौभाग्य हमेशा बना रहता है। 

मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर की बहुओं को उपवास रखना चाहिए। इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है।  इस दिन गरीबों  या ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

मातृ नवमी श्राद्ध विधि :- 
  • सुबह के समय स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • इसके बाद दक्षिण दिशा में हरे रंग का कपड़ा बिछा लें। इसके पश्चात जो भी मातृ शक्ति हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनको मानकर एक सुपारी उस वस्त्र पर स्थापित कर दें।
  • इसके बाद उन सभी पितरों के नाम से एक दीपक जलाएं। 
  • दीपक में तिल के तेल का प्रयोग करें। 
  • इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को गीता के 9वें अध्याय का पाठ भी करना चाहिए।
  • श्राद्ध में पांच ब्राह्मणों को भोजन कराने का नियम है ।
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  • पितरों के चित्र उस हरे वस्त्र पर स्थापित करें ।
  • जल में मिश्री, दूध मिलाकर जल अर्पित करें ।
  • गरीबों या ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री के साथ भोजन दें। 
  • भोजन कराने के बाद धन-दक्षिणा देकर इन सभी को विदा करें। 
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