घर बैठें श्राद्ध माह में कराएं विशेष पूजा, मिलेगा समस्त पूर्वजों का आशीर्वाद
अगर किसी महिला की मृत्यु हो गई है और मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि पर किया जाता है। मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से जातकों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार मातृ नवमी का श्राद्ध करने वालों को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य प्राप्त होता है और इनका सौभाग्य हमेशा बना रहता है।
मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर की बहुओं को उपवास रखना चाहिए। इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन गरीबों या ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मातृ नवमी श्राद्ध विधि :-
- सुबह के समय स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- इसके बाद दक्षिण दिशा में हरे रंग का कपड़ा बिछा लें। इसके पश्चात जो भी मातृ शक्ति हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनको मानकर एक सुपारी उस वस्त्र पर स्थापित कर दें।
- इसके बाद उन सभी पितरों के नाम से एक दीपक जलाएं।
- दीपक में तिल के तेल का प्रयोग करें।
- इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को गीता के 9वें अध्याय का पाठ भी करना चाहिए।
- श्राद्ध में पांच ब्राह्मणों को भोजन कराने का नियम है ।
- पितरों के चित्र उस हरे वस्त्र पर स्थापित करें ।
- जल में मिश्री, दूध मिलाकर जल अर्पित करें ।
- गरीबों या ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री के साथ भोजन दें।
- भोजन कराने के बाद धन-दक्षिणा देकर इन सभी को विदा करें।
Shradh 2020 Dates- जानें श्राद्ध प्रारम्भ तिथि एवं महत्व
श्राद्ध पूजा 2020 : क्या है विशेष, जानें मान्यता
श्राद्ध 2020 : कब से प्रारम्भ हो रहें है श्राद्ध, जानें महत्वपूर्ण तिथियाँ