पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष्मी एकादशी को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष्मी एकादशी पापों को नष्ट करने वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति पापमोचनी का व्रत रखते हैं उन्हें जल्द ही फल प्राप्त होता है। इसके व्रत से लोगों पर बुरे ग्रहों के प्रभाव भी काम पड़ते हैं। यह लोगों को उसके सभी पापों से मुक्त कर उसके लिए मोक्ष के मार्ग खोल देती है। बता दें कि इस साल पापमोचनी एकादशी 7 अप्रैल को पड़ने वाली है।
इसे लेकर भगवान् श्री कृष्ण ने खुद इसके फल और प्रभाव की जानकारी अर्जुन को बताई थी। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। जो व्यक्ति इसे पुरे विधि से करते हैं उनके फलों में जल्द ही वृद्धि होती है। इस ख़ास दिन पर भगवान अपने श्रद्धालु पर कृपा बनाए रखते हैं।
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पापमोचनी एकादशी पूजा की विधि
इस खास मौके पर भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है। सूर्योदय होते ही व्यक्ति को स्नान कर लें और व्रत का संकल्प कर के भगवान की पूजा करें। भगवान के समक्ष बैठ कर भगवत कथा का पाठ करें। इस दिन जागरण करने से आपको अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके बाद द्वादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु जी की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
पापमोचनी एकादशी व्रत तिथि
एकादशी व्रत तिथि - 7 अप्रैल
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 7 अप्रैल, प्रातः काल 02:09 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त - 8 अप्रैल, प्रातः काल 02:28 मिनट
एकादशी पारण - 8 अप्रैल, प्रातः काल 01:38 मिनट से 04:09 मिनट तक
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