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नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि की करते हैं उपासना

My Jyotish Expert Updated 31 Mar 2020 08:04 PM IST
On the seventh day of Navratri, Mother Kalratri is worshiped
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देवी दुर्गा की सातवीं शक्ति का नाम है माँ कालरात्रि। नवरात्रि के सातवें दिन साधक माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं। माँ कालरात्रि अर्थात वह जिनका शरीर घने अंधकार की तरह एकदम काला है। इनके नाम से ही जाहिर होता है की इनका रूप बहुत ही भयानक है। इनके लम्बे घने बिखरे बाल हैं तथा इन्होंने अपने गले में विद्युत से भी अधिक चमकने वाली माला धारण की हुई है। यह शक्ति अंधकार का विनाश कर काल से भी रक्षा करने वाली देवी हैं।


माँ कालरात्रि के तीन नेत्र हैं, यह तीनों नेत्र ब्रह्माण्ड के समान गोल हैं। इनकी श्वांस से अग्नि निकलती रहती है। यह गर्दभ की सवारी करती हैं। यह अपने दाहिनी ओर के दोनों हाथों में वरमुद्रा व अभयमुद्रा धारण किए हुए हैं। जिससे वह अपने भक्तों को निडर व निर्भीक होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। बाईं ओर के हाथों में इन्होने लोहे का कांटा व खड्ग लिया है जिससे वह असुरों का विनाश करती हैं।
इनका रूप भले ही भयामय हो परन्तु यह सदैव ही अपने भक्तों को शुभ वर देती हैं। देवी द्वारा अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने के कारण इन्हे शुभंकरी भी कहा जाता है। कहते है की भक्तों को इनके रूप से डरना नहीं चाहिए बल्कि इनके रूप के साक्षात्कार से तो भक्त पुण्य के भागी बनते हैं। देवी की उपासना से मन के सभी डर दूर हो जाते हैं एवं भक्तों में आत्मविश्वास की बढ़ोतरी होती है।

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कालरात्रि की आराधना करने से संसार की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुर व बुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। जिसके कारण दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। यह ग्रहों से उत्पन्न होने वाली बाधाओं को भी दूर करती हैं तथा अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि का भय भी दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है। देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालरात्रि के अन्य नाम हैं |

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