अगर कोई भक्तजन ओंकारेश्वर क्षेत्र की तीर्थ यात्रा करता है तो उसे केवल ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन ही नहीं वहां बसे अन्य 24 अवतार के दर्शन भी करनी चाहिए जिनके नाम इस प्रकार है माता घाट (सेलानी), सीता वाटिका, धावड़ी कुंड, मार्कण्डेय शिला, मार्कण्डेय संन्यास आश्रम, अन्नपूर्णाश्रम, विज्ञान शाला, बड़े हनुमान, खेड़ापति हनुमान, ओंकार मठ, माता आनंदमयी आश्रम, ऋणमुक्तेश्वर महादेव, गायत्री माता मंदिर, सिद्धनाथ गौरी सोमनाथ, आड़े हनुमान, माता वैष्णोदेवी मंदिर, चाँद-सूरज दरवाजे, वीरखला, विष्णु मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर, सेगाँव के गजानन महाराज का मंदिर, काशी विश्वनाथ, नरसिंह टेकरी, कुबेरेश्वर महादेव, चन्द्रमोलेश्वर महादेव के मंदिर भी दर्शनीय हैं।
विवाह संबंधी दोषों को दूर करने के लिए शिवरात्रि पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में कराएं रुद्राभिषेक : 11 मार्च 2021
पौराणिक कथा:
राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माँग लिया। तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी। जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं।
शास्त्रों की माने तो कोई भी भक्त कितने भी तीर्थ स्थल के दर्शन कर ले अगर उसने ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अपने सभी किए हुए तीर्थों का जल नहीं चढ़ाया तो उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं ओमकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदा जी का भी विशेष महत्व है शास्त्र मान्यता के अनुसार जमुनाजी में 15 दिन का स्नान तथा गंगाजी में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदाजी के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।
आरती की समय सारणी:
सुबह मंगल आरती 5:00 बजे, दोपहर भोग आरती 12: 20, रात्रि के विशेष आरती 9:00 बजे
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