साल 2020 समाप्त हो रहा है और चंद दिनों में अंग्रेजी कैलेण्डर का नया साल शुरू हो जायेगाl पूरे विश्व में कोरोना के कारण इस साल का अनुभव बेहद कड़वा रहाl आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ हाथ मिलाकर चल रही थी, लेकिन अब लगता है भविष्य का स्वरुप ऐसा नहीं रह पायेगा l विश्व व्यापार की तमाम भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अड़चनों को दूर कर दुनिया के साथ सामंजस्य स्थापित कर वैश्विक अर्थव्यवस्था में साधन संपन्न और साधन विहीन देशों के बीच में संतुलन स्थापित करने का उद्देश्य अब विफल होता दीख रहा हैl दुनिया की चुनिंदा बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल भारत भी इस महामारी के प्रकोप से अछूता नहीं रह सकेगा l देखी-अनदेखी चुनौतियों के बीच वर्ष 2021 संभलकर चलने का समय है l
भारतीय कैलेण्डर
हिंदी नव वर्ष का आरम्भ चैत्र मास से होता है। शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से माह प्रारंभ होता है। चंद्र महीने हिंदू कैलेंडर की मूल इकाई है, जो चंद्रमा आधारित कैलेंडर है। दो प्रकार के चंद्र महीने हैं जिनका उपयोग भारत में किया जाता है। पहले प्रकार के चंद्र महीने में अमावस्या के दिन महीना समाप्त होता है और दूसरे प्रकार में चंद्र महीना पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। जो पूर्ण चंद्रमा दिवस पर समाप्त होता है, उसे पूर्णिमांत चंद्रमा कैलेंडर के रूप में जाना जाता है। यह कैलेंडर मुख्य रूप से उत्तर भारत में और जो अमावस्या दिवस पर समाप्त होता है, उसे अमांता या अमावस्यांत चंद्रमा कैलेंडर कहते हैं जो दक्षिण भारत, बंगाल और त्रिपुरा में प्रयोग में लाया जाता है ।
भारतीय राष्ट्रीय पंचांग या 'भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर' भारत में उपयोग में आने वाला सरकारी सिविल कैलेंडर है। यह शक संवत पर आधारित है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ 22 मार्च 1957 से अपनाया गया। भारत मे यह भारत का राजपत्र, आकाशवाणी द्वारा प्रसारित समाचार और भारत सरकार द्वारा जारी संचार विज्ञप्तियों मे ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ प्रयोग किया जाता है। चैत्र भारतीय राष्ट्रीय पंचांग का प्रथम माह होता है। इसके हिंदी महीने अमावस्यांत होते है। अमावस्या से अगले दिन पहली तारीख होती है।
अंग्रेजी कैलेण्डर
आज के युग में अंग्रेजी केलेण्डर का प्रचलन अत्यधिक तथा सर्वव्यापी हो गया है, किन्तु उससे भारतीय केलेण्डर का महत्व कभी कम नहीं किया जा सकता है। हमारे प्रत्येक त्यौहार एवं व्रत-उपवास, युग-पुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि, विवाह तथा अन्य शुभ कार्यों के शुभ मुहूर्त आदि सभी भारतीय केलेण्डर अर्थात हिन्दू पंचांग के अनुसार ही देखे जाते है।
पुष्य नक्षत्र में आरंभ होगा नववर्ष
इस हिसाब से 31 दिसंबर 2020 रात्रि 12:00 बजे के बाद 00:00:01 बजे वर्ष 2021 आरंभ होगा. इस दिन मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है. इस दिन चंद्रमा कर्क राशि और सूर्य धनु राशि में विराजमान रहेंगे. खास बात ये है कि नव वर्ष यानि एक जनवरी 2021 का आरंभ पुष्य नक्षत्र में होगा l
पाणिनी संहिता’ में “पुष्य सिद्धौ नक्षत्रे” के बारे में लिखा है-
सिध्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि सिध्यः |
पुष्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य ||
अर्थात पुष्य नक्षत्र में शुरू किये गए सभी कार्य पुष्टिदायक, सर्वथा सिद्ध होते ही हैं, निश्चय ही फलीभूत होते है पुष्य का अर्थ पोषण होता है। पुष्य नक्षत्र को अन्य नामों जैसे तिष्य और अमरेज्य से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र की उपस्थिति कर्क राशि के 3-20 अंश से 16-40 अंश तक है। 'अमरेज्य' का शाब्दिक अर्थ है, देवताओं के द्वारा पूजा जाने वाला। शनि इस नक्षत्र के स्वामी ग्रहों के रूप में मान्य हैं, लेकिन अधिष्ठाता गुरु के गुणों से इसका साम्य कहीं अधिक बैठता है। धर्म शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन बताया गया हैं। चूँकि गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है, इसलिए पुष्य नक्षत्र को गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषण देने वाला, लाभप्रद व ह्रदय को प्रसन्नता देने कहा गया है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा भी कहते है । माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में किये गये कार्य सर्वथा सफल होते हैं। कहा जाता है भगवान राम का जन्म पुष्य-नक्षत्र में हुआ था।
कुम्भ 2021 में शिव शंकर को करें प्रसन्न कराएं रुद्राभिषेक, समस्त कष्ट होंगे दूर
पुष्य में शनि के प्रभाव के कारण खरीदी हुई वस्तु स्थाई रूप से बनी रहती है और बृहस्पति देव के कारण वह समृद्धिदायी होती है। गुरुवार व रविवार को होने वाले पुष्य नक्षत्र विशेष रूप से फलदायक होता है उस दिन पुष्यामृत योग बनता है। पुष्य नक्षत्र माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन माँ लक्ष्मी की आराधना करने से माँ शीघ्र प्रसन्न होती है l
शुक्रवार से शुरू है नया साल
लेकिन यह भी ध्यान दें कि पुष्य नक्षत्र भी अशुभ योगों से ग्रसित तथा अभिशापित होता है। शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र में किया गया कार्य सर्वथा असफल ही नहीं, उत्पातकारी भी होता है। अतः पुष्य नक्षत्र में शुक्रवार के दिन को तो सर्वथा त्याग ही दें। बुधवार को भी पुष्य नक्षत्र नपुंसक होता है। अतः इसमें किया गया कार्य भी असफलता देता है।
लेकिन पुष्य नक्षत्र शुक्र तथा बुध के अतिरिक्त सामान्यतया श्रेष्ठ होता है। रवि पुष्य योग तथा गुरु पुष्य योग सर्वार्थ सिद्धिकारक माना गया है। इस वर्ष 1 जनवरी शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए एक जनवरी को किसी रोमांचकारी साहस करने से बचें l एक बात का और विशेष ध्यान दें कि विवाह में पुष्य नक्षत्र सर्वथा वर्जित तथा अभिशापित है। अतः पुष्य नक्षत्र में विवाह कभी भी नहीं करना चाहिए।
नए साल का संकल्प
नए साल में संकल्प लेने का सिलसिला कोई नया नहीं है l हर वर्ष लोग संकल्प लेते हैं और पूरा नहीं कर पातेl कई संकल्प तो हमलोग कुछ ही दिनों के भीतर ही तोड़ देते हैंl अपने अनुभव और लोगों के रवैये को देखकर मुझे लगता है कि कुछ संकल्प ऐसे हैं जो बहुत ही जिम्मेदारी से लिए जाते हैं और उन्हें फिर उसी तत्परता से तोड़ भी दिए जाते हैं—जैसे शराब-सिगरेट ना पीने का संकल्प, चाय छोड़ देने का संकल्प, नियमित वर्कआउट (एकसरसाइज) का संकल्प, एक घंटे से अधिक समय सोशल मिडिया पर ना बिताने का संकल्प आदि l लेकिन हम एक संकल्प भी पूरा नहीं कर पाते क्योंकि हम संकल्प लेते समय ईमानदारी और व्यवहारिकता की अनदेखी कर जाते हैं l कई लोग बहुत सकारात्मक संकल्प भी लेते हैं और उसे पूरा करने का प्रयास करते हैं, जैसे- पेड़ लगाने, प्रेरणादायी पुस्तक पढने का संकल्प, जरुरतमंदों की मदद करने का संकल्प, योग-ध्यान करने का संकल्प आदि l
अपनी राशि अनुसार लें संकल्प
अपनी जिंदगी में आप चाहे तो आगे बढ़ते हैं या पीछे छूट जाते हैं क्योंकि कोई भी आदमी यथास्थिति में नहीं रह सकता l दुनिया गतिशील है और हर क्षण बदलती रहती है l मैं आपसे आपकी राशि के अनुसार संकल्प लेने की सलाह दूंगा ताकि आप अपनी कमियों को दूर कर अपने व्यक्तित्व में सार्थक और सकारात्मक परिवर्तन ला सकें:
मेष राशि वाले क्या लें संकल्प
नए साल में आपको आलस्य और लापरवाही पूरी तरह से छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए l स्पष्टवादी होना अच्छी बात है, लेकिन सामाजिक जीवन में व्यवहार कुशलता का भी अपना महत्त्व होता है l स्वाभाव की उग्रता को इस साल कम करने का प्रयास करें l
वृष राशि वाले क्या लें संकल्प
तुरंत उत्तेजित ना होने का अभ्यास निरंतर करते रहें l हठ या जिद पूरी तरह से अपने व्यक्तित्व से निकाल दें, लचीलेपन से आपकी राह आसन हो जाएगीl अपनी राय, अपनी मान्यताओं और पसंद-नापसंद के प्रति अड़ियल रुख हमें सामूहिकता के बोध से दूर कर देता है l
मिथुन राशि वाले क्या लें संकल्प
अपनी कल्पना शक्ति की उड़ान भरते समय व्यवहारिकता का भी ख्याल रखें l भ्रम की स्थिति में अधिक समय तक रहना आपको नुकसान पहुंचाएगा l सोच और क्रिया-कलापों में स्पष्टता रखिये l ना तो किसी की निंदा कीजिये और ना ही अपनी प्रशंसा सुनाने की कोशिश कीजियेl
कर्क राशि वाले क्या लें संकल्प
अत्यधिक भावुकता से बचें l दिल का स्थान दिमाग से नीचे है, इसलिए दिमाग से काम लें दिल से नहीं l निराशावादी विचारों से दूर रहेंl संवेदनशीलता अच्छी बात है लेकिन इतने भी संवेदनशील ना बनें कि लोग आपको मुडियल कहने लग जाएँ l
सिंह राशि वाले क्या लें संकल्प
अहंकार से बचें l नशे की आदत से कोसों दूर रहें l अभिमानी और आशावादी होना सकारात्मक गुण हैl धन के अपव्यय और दुरुपयोग से बचें अन्यथा पछताना पड़ेगाl
कन्या राशि वाले क्या लें संकल्प
अत्यधिक स्वार्थ से बचें, वरना आप अकेले रह जायेंगे l अपनी कमियों को देखें, परखें और उन्हें दूर करने का प्रयास करें l अपनी आलोचना सुनने की आदत डालिए और उस हिसाब से सुधार करने का प्रयास करें l
तुला राशि वाले क्या लें संकल्प
आपको दिखावा करने और विलासिता सम्बन्धी खर्च करने से बचना चाहिए l बदलाव को स्वीकार कीजिये l आलस्य ना करें l नए साल में केवल योजना ही ना बनाते रह जाएँ, उसपर अमल भी करें l निर्णय लेने में टालमटोल किया तो अवसर हाथ से निकल जायेगा l
वृश्चिक राशि वाले क्या लें संकल्प
अपने स्वाभाव की आक्रामकता पर नियंत्रण रखें l नशे से बचिएl बार-बार परिवर्तन करने की आदत पर अंकुश लगाना होगा l दिल की बात अपने प्रिय लोगों से साझा करने में कोई बुराई नहीं है l दिल में छिपाकर रखने से आपका व्यक्तित्व प्रभावित हो सकता है l
धनु राशि वाले क्या लें संकल्प
इस वर्ष खान-पान पर नियंत्रण रखेंl कठोर वाणी और झूठ बोलने से बचें l जोखिम वाले आर्थिक प्रयास बिलकुल भी ना करें, नुकसान होगा l अपना काम निकालने की कुशलता तो अच्छी बात है लेकिन धूर्तता नकारात्मक गुण है l
मकर राशि वाले क्या लें संकल्प
अगर आप लोगों को ये दिखाते हैं कि आपके बारे में दुनिया की राय आपके लिए कोई महत्त्व नहीं रखती है तो इस ढोंग से बचें, क्योंकि अपनी तारीफ सुनना आपको बहुत पसंद है l हर समय दूसरों की बुराई और ईर्ष्या करना बुरी आदत है, इसे तत्काल छोड़ेंl
कुम्भ राशि वाले क्या लें संकल्प
सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें और काम टालने की आदत को बिलकुल छोड़ दें l नशे की आदत यदि है तो अविलम्ब छोड़ने का गंभीर प्रयास करें l किसी भी काम में निरंतरता बनाये रखने की कोशिश करें, केवल सपना देखने से बात नहीं बनेगी l
मीन राशि वाले क्या लें संकल्प
अहंकार और आलस्य से जितनी जल्दी हो सके पीछा छुडाएंl समस्या से भागने के बजाय उसका सामना कीजिये, सुलझ जाएगी l यथार्थ से मुंह मोड़ने से बात बनने वाली नहीं है l दुनियादारी देखते हुए ही लोगों पर विश्वास करें, आँखें मूँद कर नहीं l
यह भी पढ़े :-
पूजन में क्यों बनाया जाता है स्वास्तिष्क ? जानें चमत्कारी कारण
यदि कुंडली में हो चंद्रमा कमजोर, तो कैसे होते है परिणाम ?
संतान प्राप्ति हेतु जरूर करें यह प्रभावी उपाय