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जानिए नवरात्रि की पूजा विधि व इसकी सारी महत्वपूर्ण तिथियां

My jyotish expert Updated 30 Sep 2021 02:42 PM IST
navratri puja vidhi tithi significance
navratri puja vidhi tithi significance - फोटो : google
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हिंदू पंचांग के अनुसार, नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित होता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में विधि पूर्वक पूजा करने से मां दुर्गा की विषेश कृपा  की प्राप्ती होता  है. अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाती हैं। पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी का पूजन किया जाता है। इन नौ स्वरूपों की अपनी अलग-अलग विशिष्टता है। इनके पूजन से भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मान्यता है कि इन नौ दिनों तक मां दुर्गा देवलोक से धरती लोक पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हरकर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। इस बार मां शारदीय नवरात्रि की शुरुआत  
Shardiya Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू हो रहा हैं, जो कि 15 अक्टूबर, शुक्रवार को संपन्न होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर माता रानी अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। आए आज आपको इस नवरात्रि की शारि बातें बताते हैं जिससे आप यह जान सकें कि उनके पुजा की विधि कब हैं शुभ मुहूर्त क्यों मनाएं जातें हैं नवरात्रि 

हस्तरेखा ज्योतिषी से जानिए क्या कहती हैं आपके हाथ की रेखाएँ

-: शारदीय नवरात्रि 2021 तिथियां-

7 अक्टूबर (पहला दिन)- मां शैलपुत्री की पूजा

8 अक्टूबर (दूसरा दिन)- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

9 अक्टूबर (तीसरा दिन)- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा

10 अक्टूबर (चौथा दिन)- मां स्कंदमाता की पूजा

11 अक्टूबर (पांचवां दिन)- मां कात्यायनी की पूजा

12 अक्टूबर (छठवां दिन)- मां कालरात्रि की पूजा

13 अक्टूबर (सातवां दिन)- मां महागौरी की पूजा

14 अक्टूबर (आठवां दिन)- मां सिद्धिदात्री की पूजा

15 अक्टूबर- दशमी तिथि ( व्रत पारण), विजयादशमी या दशहरा

कलश स्थापना कब है ? 

नवरात्रि का पर्व कलश स्थापना के साथ शुरू होता है और शरद नवरात्रि में इस बार 7 अक्टूबर 2021 को कलश स्थापना यानि घटस्थापना की जानी है. इस दिन घटस्थापना/कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह  9.33 से से 11.31 बजे तक रहेगा. इसके अलावा दोपहर 3.33 से शाम 5.05 के बीच भी घट स्थापना की जा सकेगी.इसके साथ ही 9 दिवसीय नवरात्र के पर्व की शुरूआत हो जाएगी. 

-: कलश स्थापन व पूजन विधि

कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान के बाद साफ सुथरे कपड़े धारण करें और मंदिर की साफ-सफाई कर लें और इसके बाद सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं और इस कपड़े पर थोड़े चावल रख लें और इसके बाद एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित कर दें और इसके बाद कलश पर स्वास्तिक का निशान बना दें. कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखने चाहिए और एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधा जाता है. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए अब मां दुर्गा का ध्यान व आव्हान किया जाता है. कहते हैं  सच्चे दिल से माता की पूजा करने वालों पर जगत जननी की कृपा अवश्य होती है और वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. 

-: इस साल डोली में आ रहीं देवी मां 

नवरात्रि के 9 दिन देवी मां के 9 रूपों को समर्पित होते हैं. हर दिन एक रूप को समर्पित होता है. इस साल नवरात्रि पर देवी मां डोली में सवार होकर आ रही हैं. कहते हैं कि माता का डोली में सवार होकर आना बहुत शुभ होता है. नवरात्रि जब गुरुवार या शुक्रवार के दिन से शुरू होती हैं तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं. इस साल की अश्विन महीने की नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो रही हैं. 

क्यों मनाया जाता है, नवरात्रि इसके पीछे की कहानी  

महिषासुर का वध करके मां दुर्गा ने की संसार की रक्षा एक कथा के अनुसार महिषासुर को उसकी उपासना से ख़ुश होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वर प्रदान कर दिया था. उस वरदान को पाकर महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक विस्तारित कर दिया. महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवताओं के भी अधिकार छीन लिए और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा.

देवताओं को महिषासुर के भय से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था. तब महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की. महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र मां दुर्गा को समर्पित कर दिए थे जिससे वह बलवान हो गई. नौ दिनों तक उनका महिषासुर से संग्राम चला था और अन्त में महिषासुर का वध करके मां दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं

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