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Navratri 2022 : देवी के इस मंदिर में भक्तों को आखिर क्यों मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद

Myjyotish Expert Updated 04 Oct 2022 10:21 AM IST
Navratri 2022 : देवी के इस मंदिर में भक्तों को आखिर क्यों मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद
Navratri 2022 : देवी के इस मंदिर में भक्तों को आखिर क्यों मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद - फोटो : google
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Navratri 2022 : देवी के इस मंदिर में भक्तों को आखिर क्यों मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद


माता के भक्तों की आस्था है की करणी माता के दरबार में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता है। नवरात्री के समय में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ जमा होती हैं। दूर–दूर से लोग यहां पर माता के दर्शन और चूहे का झूठा किया हुआ प्रसाद प्राप्त करने के लिए आते है। ये जगह राजस्थान के बीकानेर में शक्ति का एक ऐसा ही पावन सिद्धपीठ है जो चूहे वाले मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।

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करणी माता का यह मंदिर बीकानेर शहर से 32 किमी दूर देशनोक गांव में है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर माता करणी को पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को सबसे पहले वहा के चूहों को दिया जाता है। और जब वह प्रसाद को झूठा कर देते है तब माता के भक्तों को वही प्रसाद के रूप में दिया जाता है। 

आखिर कौन हैं करणी माता

बीकानेर में करणी माता को मां करणी, महाई और दाढाली डोकरी यानि दाढ़ी वाली बूढ़ी माता के रूप में जाना जाता है। करणी माता के बारे में धार्मिक मान्यता है कि उनका जन्म चारण जाति में रिधुबाई के रूप में हुआ था। जिनकी पूजा-अर्चना चारण परिवार के लोग करते हैं। माता को हिंदू योद्धाओं की देवी माना जाता है, जिन्हें उनके भक्त हिंगलाज देवी के रूप में पूजते हैं। 51 शक्तिपीठ में से एक हिंगलाज माता का मूल मंदिर पाकिस्तान में स्थित है।

माता के सेवक माने जाते हैं चूहे

इस जगह पर चूहों को लेकर कुछ अलग ही मान्यता है। इस जगह पर चूहों को कोई परेशान नहीं करता है।करणी माता के मंदिर में घूमने वाले हजाराें चूहों को लेकर मान्यता है कि जब कभी किसी चारण की मृत्यु होती है तो उसका पुनर्जन्म चूहे के रूप में होता है। यही कारण है कि माता के सेवक माने जाने वाले चूहों को कोई भूलकर भी परेशान नहीं करता है।

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भोग पर चूहों का पहला अधिकार

आमतौर पर चूहों से सब घबराते है और उनका झूठा भी कोई खाना नहीं चाहता है। करणी माता के मंदिर में प्रसाद पर सबसे पहला हक चूहों का होता है। माता को भोग लगाने के बाद सबसे पहले भोग को चूहों को दे दिया जाता है,फिर प्रसाद के तौर पर माता के भक्तों को दिया जाता है। खास बात यह कि सभी इसे आदर के साथ लेकर ग्रहण करते हैं।

गुडलक माना जाता है ये चूहा

आमतौर पर चूहों से सब घबराते है। लेकिन करणी माता के मंदिर में हजारों की संख्या में चूहों का निवास है। माता के मंदिर में हजारों की संख्या में घूमने वाले चूहों को काबा कहा जाता है। खास बात यह कि न तो ये चूहे किसी को परेशान करते हैं और न ही कोई इन्हें परेशान  करता है।

हजारों की संख्या में चूहों के बीच में कुछ सफेद चूहा भी है। जिसको देखना बहुत शुभ माना जाता है। सफेद चूहे जल्दी किसी को दिखाई नहीं देते है और जिसको भी दिख गए समझो उस पर माता की कृपा हो गई। इन सभी चूहों को माता करणी के सेवक बताए जाते है। जो हर समय माता का ख्याल रखते है।

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