नवरात्रि स्पेशल - 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 7 - 13 अक्टूबर
• मां चंद्रघंटा की पूजा करने की विधि : - नवरात्रि के 9 दिन की अवधि में तीसरे दिन मां दुर्गा के स्वरूप चंद्र घटा की पूजा की जाती है। तथा मां के स्वरूप को लाल रंग के पुष्प चढ़ाए जाते हैं। और साथ ही मां को लाल रंग की सेबों का भोग लगाया जाता है। जब मां को आप भोग चढ़ाएं तो तो कुछ मंत्रों का जाप करते हुए घंटी का उपयोग जरूर करें। मां दुर्गा के इस स्वरुप को दूध अर्पित किया जाता है और दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाया जाता है। तथा आप सामर्थ्य के अनुसार आप इन वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं। तथा साथ ही मां चंद्रघंटा को माखन की खीर का भोग लगाया जाता है। तथा मां चंद्रघंटा बहुत खुश हो जाती हैं। मां की कृपा से भक्तों के सभी दुख दर्द और पीड़ाओं का नाश हो जाता है। और यदि आप मां चंद्रघंटा की इस प्रकार पूजा करते हैं तो आपको उनकी कृपा प्राप्त होती है। और उनकी कृपा का अर्थ है घर में सुख समृद्धि और वैभव में वृद्धि होना। तथा नवरात्रि के इस दिन यदि आप व्रत रखते हैं तो वह आपके लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
• मंत्र का उच्चारण आपको पूजा के समय करना है।
1. पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
• ध्यान के लिए मंत्र:
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
• स्तोत्र पाठ:
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥
• मां चंद्रघंटा जी की आरती:
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥
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