17 अक्टूबर 2020 को शारदीय नवरात्र शनिवार के दिन से शुरू हो रहा है। प्रतिपदा नक्षत्र रात में 11:27 तक होगा। इसलिए कलश की स्थापना सुबह से ही शुरु कर सकते हैं लेकिन कलश स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त 11:36 से 12:24 यानी 48 मिनट का समय होगा । अगर सही विधि से यह मुहूर्त निकाला जाए तो अलग-अलग जगहों के हिसाब से अलग-अलग मुहूर्त होता है।
स्थानीय अभिजीत मुहूर्त निकालने की विधि:
अगर आपको किसी भी स्थान का अभिजीत मुहूर्त निकालना हो तो वहां का सबसे पहले दिनमान निकाल कर उसको आधा कर ले और उसके बाद सूर्य उदय के समय में जोड़ दें । जो भी समय निकलेगा उसमें 24 मिनट घटा दे । जो भी निकल कर आएगा वही अभिजीत मुहूर्त रहेगा । चलिए एक उदाहरण लेते हैं:
जैसे दिनमान 12 घंटे 24 मिनट का है तो उसका आधा करने पर आएगा 6 घंटे 12 मिनट और यदि सूरज 6:00 हुआ है तो उसमें 6 घंटा 12 मिनट जोड़ने पर 12:12 का समय आ जाता है । अब जो 12:12 आया है उसमें से 24 मिनट घटा देंगे तो 11:00 बज के 48 मिनट बचेगा और अगर 12:12 में 24 मिनट जोड़ेंगे तो 12:36 आएगा जो अभिजीत मुहूर्त होगा।
नवरात्रि में कराएं माँ दुर्गा विशेष प्रभावशाली 9 दिनों का महापूजन एवं सप्तचण्डी पाठ , प्राप्त होगा मनचाहा आशीर्वाद - माँ महिषासुर मर्दिनी मंदिर, वाराणसी
दशहरा कब मनाए:
महावीर पंचांग के अनुसार इस बार 25 अक्टूबर के दिन रविवार को नवमी सुबह 11:14 बजे तक होगी। 11:14 के बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी । मध्यान्ह पूर्व से प्रारंभ होकर अपराहन व्यापारी दशमी तिथि को श्रवण नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस वर्ष विजयदशमी का पर्व 25 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
इस वर्ष 24 अक्टूबर को नवमी तिथि लग जाएगी 11:28 पर और 25 अक्टूबर को 11:14 तक रहेगी। वैसे तो विद्वानों के अनुसार 11:30 बजे के बाद भी हवन किया जा सकता है लेकिन 25 अक्टूबर को 11:15 बजे से पहले हवन करना बहुत ही फलदाई होगा और बहुत ही शुभ होगा ।
25 अक्टूबर को विजयदशमी पूजन ,शस्त्र पूजन, शमी पूजन, नीलकंठ दर्शन और अपराजिता पूजन करना बहुत ही अच्छा माना गया है | जिन भी लोगों ने नवरात्रों में पूरे 9 दिन का व्रत धारण किया हुआ है। वह 25 अक्टूबर को 11:15 के बाद ही अपने व्रत का पारण कर पाएंगे । माता दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन 26 अक्टूबर सोमवार किया जाएगा।
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