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जानिए नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इस नवरात्रि पूजन का क्या होगा शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

My Jyotish Expert Updated 07 Oct 2021 03:03 PM IST
Navratri 2021
Navratri 2021 - फोटो : Google
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सनातन धर्म में नवरात्रि का त्योहार साल में 4 बार मनाया जाता है. लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि (Kab se Shuru ho rake hai shardiya navratri 2021) तो सबसे खास माना जाता है. इस साल शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 से शुरू होने जा रहे हैं. 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं  हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है. नवरात्रि के दौरान भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. ऐसे में अगर आप भी मां दुर्गा (Maa Durga) की विशेष कृपा पाना चाहते हैं . ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है कि इस दौरान किन-किन बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. नवरात्रि मनाने के पीछे भी हमारे शास्त्रों में अलग अलग कहानियां दी गई है,  पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर का वध करने के लिए भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश के तेज से इस दिन देवी दुर्गा ने जन्म लिया था। वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले रामेश्वरम में नौ दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की थी।  मां दुर्गा की कृपा अगर किसी भी हो जाए उस घर में सुख शांति समृद्धि बना रहता हैं, जीवन में आने वालीं कोई भी विपदाएं से लड़ने की साहस प्रदान करता हैं,  अगर आप इस नवरात्रि पुरे विधि विधान से पूजा करते हैं तो  ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2021 की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, इतिहास और महत्व के बारे में।


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- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

 • नवरात्रि में घट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है। कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।


कलश स्थापना कैसे करें-

•  ऐसे में उसका शुभ मुहूर्त सुबह 6:17 से शुरू होगा। जो कि सुबह 7:07 तक रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:32 तक रहेगा। घट स्थापना के लिए 7 तरह के अनाज, चौड़े मुंह वाले मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या सूखे पत्ते, सुपारी, नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कुछ विशेष नियमों का पालन के साथ उत्तर पूर्व दिशा को साफ कर मां की चौकी लगानी होती हैं। वहीं इसके लिए सबसे पहले गणेश की पूजा की जाएगी


- शारदीय नवरात्रि 2021 अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2021 अष्टमी तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर 2021, मंगलवार, 09:47Pm से
शारदीय नवरात्रि 2021 अष्टमी तिथि समाप्ति: 13 अक्टूबर 2021, बुधवार, 08:07Pm


- शारदीय नवरात्रि 2021 नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त

•  शारदीय नवरात्रि 2021 नवमी तिथि आरंभ: 13 अक्टूबर 2021, बुधवार 08:07Pm से
शारदीय नवरात्रि 2021 नवमी तिथि समाप्ति: 14 अक्टूबर 2021, बृहस्पतिवार, 06: 52Pm


- पूजा विधि 

 मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब,कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि।


- तिथि के अनुसार, मां दुर्गा के इन रूपों की करें पूजा

• पहला दिन (7 अक्टूबर)- मां शैलपुत्री की आराधना

• दूसरा दिन (8 अक्टूबर)- मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

• तीसरा दिन (9 अक्टूबर)- मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा

• चौथा दिन (10 अक्टूबर)- मां स्कंदमाता की आराधना

• पांचवा दिन (11 अक्टूबर) मां कात्यायनी की आराधना

• छठा दिन (12 अक्टूबर) मां कालरात्रि की आराधना

• सातवां दिन (13 अक्टूबर)- मां महागौरी की पूजा

•आठवां दिन (14 अक्टूबर)- मां सिद्धिरात्रि की पूजा

• नौवां दिन (19 अक्टूबर)- दशहरा


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