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इस बार नवरात्र नौ नहीं, आठ दिन तक चलेंगे क्योंकि दो तिथियां तृतीया और चतुर्थी, एक साथ पड़ने से नवरात्र का एक दिन घट रहा है। पंचांग के अनुसार नौ अक्टूबर, शनिवार को तृतीया तिथि सुबह सात बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू होगी, जो 10 अक्टूबर को सुबह पांच बजे तक रहेगी
शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि सात अक्तूबर से शुरू हो रहा है। वाराणसी से प्रकाशित पंचांग के अनुसार इस वर्ष षष्ठी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि आठ ही दिन का रहेगा। जो सात अक्तूबर से शुरु होकर 14 अक्तूबर को समाप्त होगा। 15 अक्तूबर को विजय दशमी का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार माता का आगमन घोड़े पर हो रहा है। जो सामान्य फलदायक है, लेकिन दशमी शुक्रवार को होने से माता का प्रस्थान हाथी पर हो रहा है जो शुभ फलदायक रहेगा। इससे समस्त व्यक्तियों में नई स्फूर्ति, नव चेतना का संचार होगा। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
कलश स्थापना मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनुसार, सात अक्तूबर को प्रतिपदा तिथि दिन मे तीन बजकर 28 मिनट तक है। ऐसे में सूर्योदय से प्रतिपदा तीन बजकर 28 मिनट के भीतर कभी भी कलश स्थापन किया जा सकता है। इसके लिए प्रातः छह बजकर 10 मिनट से छह बजकर 40 मिनट तक ( कन्या लग्न-स्वभाव लग्न में)। पुनः 11 बजकर 14 मिनट से दिन में एक-एक बजकर 19 मिनट तक (धनु लग्न-द्विस्भाव लग्न)। इसके साथ ही अभिजित मुहुर्त ( सुबह 11 बजकर 36 मिनट से-12 बजकर 24 मिनट तक)। ये तीनो मुहूर्त कलश स्थापना के लिए प्रशस्त हैं।
ऐसे करें पूजन-अर्चन
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, नवरात्रि का पर्व आरंभ करने के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेंहू मिलाकर बोएं। उस पर विधि पूर्वक कलश स्थापित करें। कलश पर देवी जी मूर्ति (धातु या मिट्टी) अथवा चित्रपट स्थापित करें। नित्यकर्म समाप्त कर पूजा सामग्री एकत्रित कर पवित्र आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें तथा आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि करके शांति मंत्र का पाठ कर संकल्प करें। रक्षादीपक जला लें।
सर्वप्रथम क्रमश: गणेश-अंबिका, कलश (वरुण), मातृका पूजन, नवग्रहों तथा लेखपालों का पूजन करें। प्रधान देवता-महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती-स्वरूपिणी भगवती दुर्गा का प्रतिष्ठापूर्वक ध्यान, आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, गन्ध, अक्षत, पुष्प, पत्र, सौभाग्य द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, ताम्बूल, निराजन, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा आदि षोडशोपचार से विधिपूर्वक श्रद्धा भाव से एकाग्रचित होकर पूजन करें।
13 को महानिशा पूजा, 14 को होगी पूर्णाहुति
पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, इस नवरात्रि 12 अक्तूबर को सप्तमी तिथि संपूर्ण दिन और रात्रि को एक बजकर 49 मिनट तक एवं मूल नक्षत्र का योग होने से पंडालों मे मूर्तियो के स्थापन का कार्य इसी दिन होगा। 13 अक्तूबर को महाअष्टमी है। इस दिन अष्टमी तिथि रात्रि 11 बजकर 42 मिनट तक है। अष्टमी का उपवास इसी दिन रखा जाएगा। महा निशा पूजन और रात्रि में बलिदानिक कार्य भी इसी दिन किए जाएंगे। 14 अक्तूबर नवमी तिथि रात्रि नौ बजकर 53 मिनट तक है। इस दिन मां दुर्गा के पूजन-अर्चन एवं पूर्णाहुति के लिए सूर्योदय से रात्रि नौ बजकर 53 मिनट का समय उत्तम है। व्रत का पारण 15 अक्तूबर को होगा।
श्रद्धालु मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेंहू मिलाकर बोएं। उस पर विधिपूर्वक कलश स्थापित करें। कलश पर देवी जी मूर्ति (धातु या मिट्टी) या चित्रपट स्थापित करें। नित्यकर्म समाप्त कर पूजा सामग्री एकत्रित कर पवित्र आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि करके शांति मंत्र का पाठ कर संकल्प करें। रक्षादीपक जला लें।सर्वप्रथम क्रमश गणेश-अंबिका, कलश (वरुण), मातृका पूजन, नवग्रहों व लेखपालों का पूजन करें। प्रधान देवता-महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती-स्वरूपिणी भगवती दुर्गा का प्रतिष्ठापूर्वक ध्यान, आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, पत्र, सौभाग्य द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, तांबूल, निराजन, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा आदि से विधिपूर्वक श्रद्धा भाव से एकाग्रचित्त होकर पूजन करें।
शारदीय नवरात्रि का कार्यक्रम
07 अक्तूबर- मां शैलपुत्री पूजा व घटस्थापना
08 अक्तूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
09 अक्तूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
10 अक्तूबर- मां कुष्मांडा पूजा
11 अक्तूबर- मां स्कंदमाता और मां कात्यायनी पूजा
12 अक्तूबर- मां कालरात्रि पूजा
13 अक्तूबर- मां महागौरी पूजा
14 अक्तूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
नवरात्रि स्पेशल - 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 7 - 13 अक्टूबर
नवरात्रि पर कन्या पूजन से होंगी मां प्रसन्न, करेंगी सभी मनोकामनाएं पूरी : 13 अक्टूबर 2021- Navratri Kanya Pujan 2021
इस नवरात्रि, सर्व सुख समृद्धि के लिए कामाख्या देवी शक्ति पीठ में करवाएं दुर्गा सप्तशती का विशेष पाठ : 7 - 13 अक्टूबर 2021 - Durga Saptashati Path Online