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जानिए नवरात्रि में कलश स्थापना क्यों होती है महत्वपूर्ण और कलश स्थापना की पूर्ण विधि

My Jyotish Expert Updated 07 Oct 2021 04:12 PM IST
navratri 2021
navratri 2021 - फोटो : google
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इस वर्ष 2021 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर 2021 तक है। जानकारी देते हैं कि शारदी नवरात्रि की शुरुआत अश्वनी मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और दशहरा पर समाप्त हो जाती है।नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाई जाती है। दो बार गुप्त नवरात्रि और दो बार मुख्य रूप से नवरात्रि का त्यौहार आता है। इसमें चैत्र और शारदीय मुख्य नवरात्रि होती हैं इसे देशभर में पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। नवरात्रि का मतलब होता है की 9 दिन और रात तक चलने वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है। नवरात्रि के पर्व को काफी पवित्र माना जाता है और इन दिनों कोई भी शुभ कार्य करना काफी अच्छा होता है। शास्त्रों में नवरात्रि को विशेष पर्व माना गया है और काफी महत्व दिया गया है इसलिए व्यक्ति नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं।


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कलश की स्थापना का महत्व क्या होता है आइए जानते हैं?

पुराणों के अनुसार नवरात्र का पहला दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन ही कलश की स्थापना कर दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि कलश को भगवान विष्णु जी का स्वरूप माना जाता है इसलिए पूजा से सबसे पहले कलश की स्थापना करते हैं। 


कलश की स्थापना की विधि क्या होती है आइए जानते हैं?

नवरात्र प्रारंभ होने के पश्चात सुबह स्नान करके वस्त्र पहन कर, मंदिर में साफ सफाई करें। तत्पश्चात मंदिर के स्थान के पास सफेद एवं लाल कपड़ा बिछाए जो बिल्कुल नया होना चाहिए। इसके बाद कपड़े के ऊपर चावल व गेहूं का ढेर लगाएं। एक मिट्टी के बर्तन में थोड़े से जो वो हैं और इसका ऊपर से जल से भरा हुआ कलश स्थापित कर दें । कलर्स पर रोली के द्वारा स्वास्तिक बनाकर और कलावा बांधकर उसकी स्थापना करें। इसके बाद कलश के ऊपर नारियल लेकर उसके ऊपर चुन्नी लपेटकर एवं कलावे से बांधकर कलस के ऊपर स्थापित करिए। इस दौरान कलर्स के अंदर सुपारी चावल और दक्षिणा डाल दें। यदि आम या अशोक के पत्ते मिले तो कलश के ऊपर रखकर ढक दें। इसके बाद मंत्रों द्वारा मां दुर्गे मैया का आवाहन करें। आवाहन के बाद धूप दीप जलाकर कलश की पूजा एवं आरती करें।

कलर्स मिट्टी सोना चांदी एवं पीतल किसी भी धातु का मान्य होता है केवल वह शुद्ध होना चाहिए।


नवरात्रि पर बन रहे हैं विशेष योग

इस बार नवरात्रि मैं काफी शुभ संयोग बन रहे हैं एवं विशेष योग भी बन रहे हैं। नवरात्रि 5 रवि योग के साथ सौभाग्य योग और वैध्रत योग बन रहा है। नवरात्र की शुरुआत चित्रा नक्षत्र में हो रही है। सुख और सौभाग्य का प्रतीक है। शास्त्रों की माने यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि शुभ मुहूर्त में किसी कार्य को शुरू करता है तो उसे सफलता अवश्य मिलेगी अथवा इसके अलावा घर प्रॉपर्टी और अन्य चीजों का खरीदना बहुत शुभ माना गया है।


कन्या पूजन का होता है विशेष महत्व

नवरात्रि में कन्या पूजन कराने का विशेष महत्व होता है। जो लोग 9 दिनों के लिए व्रत रखते हैं अथवा दुर्गा अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं वह कन्या पूजन अवश्य कराते हैं। कन्या पूजन के दिन व्यक्ति नौ कन्याओं को मां दुर्गा के स्वरूप मानकर उनकी पूजा करता है एवं आशीर्वाद प्राप्त करता है। नवरात्र में कन्याओं को भोजन करवाना एक अलग ही पुण्य माना गया है। कन्याओं को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना सौभाग्यशाली व्यक्ती को मिलता है। भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा देकर अथवा वस्त्र देकर विदा करना चाहिए। कन्या यदि खुश हैं तो इसका यह संकेत होता है कि आप की पूजा अर्चना से मां दुर्गा मां प्रसन्न हो गई हैं और आप की पूजा सफल हो चुकी है। 


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