नवरात्रि स्पेशल - 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 7 - 13 अक्टूबर
प्रचलित है यह कथा
पौराणिक कथाओं के अमुसार भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक वन में कठिन तपस्या करी थी, और इस कठोर तपस्या के कारण माता का रंग सांवला हो गया था, लेकिन माता को उनकी तपस्या का फल मिला और उनका विवाह भगनाव शिव के साथ हो गया। भगनवान सिव से विवाह करके उनको दो पुत्रों की प्राप्ति हुई गणेश भगवान और भगवान कार्तिकेय की। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शिव जी ने बातों में माता पार्वती को काला कह दिया था जोबात उनको अच्छी नहीं लगी थी और गोरा रंग पाने के लिए माता पार्वती एक वन में जाकर कठोर तपस्या करने लगी। जब माता पार्वती तपस्या कर रही थी तो एक शेर उनके नजदीक से गुजरा और माता पार्वती को तपस्या करते देख कर वह वहीं पास में उनके समीप जाकर बैठ गया, वह शेर तब तक वहां बैठा रहा जह तक माता तपस्या करती रहीं, जिसके बाद शिव जी ने माता की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गोरे होने का वरदान दे दिया, जिसके बाद माता पार्वती ने अपनी आंखे खोली और तब उनकी दृष्टि उस शेर पर पड़ी जो उनके समीप ही बैठा हुआ था। माता के मन में उस शेर को देखकर विचार आया की इस शेर ने भी उनके साथ बैठकर कठिन तपस्या की है, तब माता पार्वती ने उस शेर को अपनी सवारी के रूप में चुन लिया और तभी से शेर माता की सवारी बन गया।
दूसरी कथा के अनुसार
स्कंद पुराण की कथा के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने देवासुर संग्राम में दानव तारक और उसके दो भाई सिंहमुखम और सुरापदनम को पराजित किया. सिंहमुखम ने कार्तिकेय से माफी मांगी जिससे प्रसन्न होकर उसे शेर बना दिया और मां दुर्गा का वाहन बनने का आशीर्वाद दिया.
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