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Shardiya Navratri 2021: जानिए क्यों करती है दुर्गा मां शेर की सवारी, क्या है इसकी पौराणिक कथा

My jyotish expert Updated 06 Oct 2021 05:40 PM IST
navaratri 2021 significance
navaratri 2021 significance - फोटो : Google
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हमारे हिंदू धर्म में कई देवी देवता हैं और उनका अपना महत्व है किसी भी महत्व को नकारा नहीं जा सकता है हिंदू धर्म में जितने भी देवी देवता हैं उनके साथ उनके वाहन को भी महत्वपूर्ण ता के साथ दर्शाया जाता है कभी भी मूर्तिकार किसी देवी देवता की मूर्ति को करने से पहले उनके वाहन को कहना कभी नहीं भूलता है क्योंकि वह भी इसके महत्व को भलीभांति समझता है। देवी देवताओं के वाहन को लेकर पौराणिक कथाओं में कई कथाएं दर्शाए गए हैं हर वाहन के पीछे कोई ना कोई कथा प्रचलित होती ही है।शरदीय नवरात्रि (लिए vratri) को शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 से शुरू हो रही हैं जो 14 अक्टूबर को समाप्त होगा. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. पूरे भारतवर्ष में इन 9 दिनों को विशेष रूप से पूजा जाता है इन 9 दिनों में माँ के अलग अलग रूपो को पूजा जाता है हर स्वरूप का अपना महत्व और कथा है. हमारे उत्तर भारत में नवरात्रि को खूब धूमधाम से मनाया जाता है पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा तो पूरी दुनिया में जानी जाती है दुनिया भर के लोग वहां की दुर्गा पूजा को देखने आया करते हैं सरकार भी इस समय विशेष रूप से पंडालों का आयोजन करती है और यह सुनिश्चित करती है कि दुर्गा पूजा में किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई ना हो आप इस बात से ही इसके महत्व को भलीभांति समझ सकते हैं मां दुर्गा तेज, शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक हैं उनकी सवारी शेर हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि क्यों माता दुर्गा शेर की सवारी करती हैं. आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।

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प्रचलित है यह कथा

पौराणिक कथाओं के अमुसार भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक वन में कठिन तपस्या करी थी, और इस कठोर तपस्या के कारण माता का रंग सांवला हो गया था, लेकिन माता को उनकी तपस्या का फल मिला और उनका विवाह भगनाव शिव के साथ हो गया। भगनवान सिव से विवाह करके उनको दो पुत्रों की प्राप्ति हुई गणेश भगवान और भगवान कार्तिकेय की। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शिव जी ने बातों में माता पार्वती को काला कह दिया था जोबात उनको अच्छी नहीं लगी थी और गोरा रंग पाने के लिए माता पार्वती एक वन में जाकर कठोर तपस्या करने लगी। जब माता पार्वती तपस्या कर रही थी तो एक शेर उनके नजदीक से गुजरा और माता पार्वती को तपस्या करते देख कर वह वहीं पास में उनके समीप जाकर बैठ गया, वह शेर तब तक वहां बैठा रहा जह तक माता तपस्या करती रहीं, जिसके बाद शिव जी ने माता की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गोरे होने का वरदान दे दिया, जिसके बाद माता पार्वती ने अपनी आंखे खोली और तब उनकी दृष्टि उस शेर पर पड़ी जो उनके समीप ही बैठा हुआ था। माता के मन में उस शेर को देखकर विचार आया की इस शेर ने भी उनके साथ बैठकर कठिन तपस्या की है, तब माता पार्वती ने उस शेर को अपनी सवारी के रूप में चुन लिया और तभी से शेर माता की सवारी बन गया।

दूसरी कथा के अनुसार

स्कंद पुराण की कथा के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने देवासुर संग्राम में दानव तारक और उसके दो भाई सिंहमुखम और सुरापदनम को पराजित किया. सिंहमुखम ने कार्तिकेय से माफी मांगी जिससे प्रसन्न होकर उसे शेर बना दिया और मां दुर्गा का वाहन बनने का आशीर्वाद दिया.

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