नवरात्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में दुर्गा तो आदिशक्ति के रूप में भी माना जाता है। साल में दो पखवाड़ो में नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। 'चैत्र नवरात्र' और अश्विनी मास में पड़ने वाला 'शारदीय नवरात्र'।
चैत्र के नवरात्र प्रथम दिन नवसंवत्सर के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस तिथि से हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ होता है। नवरात्रि के समय मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है। यह पूर्व पूरे भारतवर्ष में बड़े ही उत्सुकता तथा लगन के साथ मनाया जाता है।
नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना और व्रत के संकल्प के साथ नवरात्र का प्रारंभ होता है। अंतिम दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने और उनकी आरती के साथ समापन होता है ।
नवरात्र के पहले दिन दुर्गा माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मार्कंडेय पुराण के अनुसार पर्वतराज यानी शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा ।
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मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है ।पूजा करते समय मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करना चाहिए 'ओम ऐं हीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम :' ऐसा करने से उपासक को ऐश्वर्य, सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष नवरात्रि का पर्व 13 अप्रैल 2021 से 22 अप्रैल 2021 तक मनाया जाएगा। चिंता की बात यह है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सभी देवी मंदिरों में सुबह 6:00 बजे से पट खुलने के बाद भक्त दर्शन पूजन शुरू कर देंगे ।
मंदिरों में प्रशासन ने कुछ खास इंतजाम किए हैं जैसे मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोल घेरे बनाए गए हैं। मास्क सैनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है । मंदिर के गेट पर भक्तों की थर्मल स्कैनिंग भी की जाएगी। कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक रात 9:00 बजे मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे।
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