नवरात्रों में अष्टगंध का हमें प्रयोग करना चाहिए अष्टगंध हमारी पंचतत्व की पद्धति के अनुसार जल का काम करते हैं। यह वह तत्व होते हैं जिनसे तिलक किया जाता है। शारदा तिलक जिसके अनुसार देवी के लिए अलग-अलग तिलक कहे गए हैं और शैव संप्रदाय और विष्णु संप्रदाय के लिए अलग-अलग तिलक कह गए हैं। गंधों का प्रयोग न सिर्फ तिलक करने के लिए प्रयोग किया जाता है तथा यह हमारे आग्यचक्र को विकसित भी करते हैं। और यह जल जितने भी प्रकार के वास्तु दोष होते हैं इन सब को यह दूर करते हैं क्योंकि पंचतत्व की सारणी में तिलक जो है उसे हम गंध कहते हैं यह आठ अलग-अलग तरीके के गंध मोतियों के समान होते हैं जिनसे हमारा जीवन चक्र चलता है। इन बंधुओं को देवी मां पर चढ़ा कर हम वास्तु दोषों को दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि नवरात्रों में कौन-कौन से अष्टगंध का प्रयोग होता है।
नवरात्रों में जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है
1.चंदन
2.अगर
3.कपूर
4. ग्रंथिपर्ण
5.केसर
6.गोरोचन
7.जटामांसी
8.लोहबान
इन आठों को शुद्धता से पीसकर पानी मिलाकर माता पर चढ़ाया जाता है। यही चीजें शैव संप्रदाय भी करता है । जिससे 8 तरीकों की अलग-अलग समस्या दूर हो जाती है। गोरोचन बुध का प्रेरक है।इससे उत्तर दिशा की प्रॉब्लम दूर होती है लोहबान शनि को प्रेरित करता है। इससे राहु केतु की समस्या दूर हो जाती है और अलग-अलग गंध का अलग-अलग प्रकार की भूमिका है। अनामिका उंगली से सभी देवी या देवता को यह गंध हम लगाते हैं।जिससे हमारी परेशानियां दूर होती हैं।
आत्यधिक जानकारी:
शाक्त संप्रदाय जो शक्ति और शिव दोनों को मानते हैं वह संप्रदाय एक ही तरह के गंध का इस्तेमाल करते हैं आठ जो अलग अलग तरीके के गंधों को मिलाकर अष्टगंध का निर्माण होता है। जो शाक्त समुदाय और शिव समुदाय के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
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