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नवरात्रि 2021: जानिए अष्टमी व नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त व कन्या पूजन के नियम

My jyotish expert Updated 12 Oct 2021 11:04 PM IST
Navaratri 2021 ashtami Puja significance
Navaratri 2021 ashtami Puja significance - फोटो : google
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नवरात्रि इन दिनों देश में बड़ी हल्लो उल्लास के साथ मनाया जा रहा हैं. इस दौरान मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व होता है। आदि शक्ति मां दुर्गा की कृपा पाने का नवरात्रि का समय बेहद शुभ माना जाता है। उसमें भी नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। अष्टमी और नवमी तिथि में ज्यादातर लोग कन्या पूजन करते हैं।अष्टमी और नवमी व्रत-अष्टमी (Maha Ashtami 2021)और नवमी तिथि (Navami 2021 date) का खास महत्व होता है. इन दोनों दिन लोग कन्या पूजन भी करते हैं. इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर उनका आह्वान किया जाता है. अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि क्षण या काल कहते हैं. संधि काल का ये समय दुर्गा पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है. इस बार नवमी तिथि 13 अक्टूबर को रात 08 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर की शाम 06 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि को मनाने वाले लोग व्रत 14 अक्टूबर, गुरुवार को रखेंगे। पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। 

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-: शुभ मुहूर्त जानिए 

•  इस नवरात्रि अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर को रात 9 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 13 अक्टूबर की रात 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। अष्टमी तिथि को मनाने वाले भक्त व्रत उदया तिथि में 13 अक्टूबर को रखेंगे। इस दिन अमृत काल सुबह -3 बजकर 23 मिनट से सुबह 04 बजकर 56 मिनट तक और ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 48 मिनट से सुबह 05 बजकर 36 मिनट तक है।

-: दिन का चौघड़िया :

•लाभ – 06:26 AM से 07:53 PM तक।

•अमृत – 07:53 AM से 09:20 PM तक।

•शुभ – 10:46 AM से 12:13 PM तक।

•लाभ – 16:32 AM से 17:59 PM तक।

-: रात का चौघड़िया :

•शुभ – 19:32 PM से 21:06 PM तक।

•अमृत – 21:06 PM से 22:39 PM तक।

•लाभ (काल रात्रि) – 03:20 PM से 04:53 PM तक।


- : नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त-

 • इस नवरात्रि  में नवमी तिथि 13 अक्टूबर को रात 08 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर की शाम 06 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि को मनाने वाले लोग व्रत 14 अक्टूबर, गुरुवार को रखेंगे। पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक का है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 49 मिनट से सुबह 05 बजकर 37 मिनट तक का है।

- संधि पूजा किया हैं। 

•अष्टमी तिथि के समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि शुरू होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि क्षण कहा जाता है। इस वक्त मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि संधि काल में मां दुर्गा ने असुर चंड और मुंड का वध किया था।

- : कैसे करें  कन्या पूजन आए जानते हैं विधि 

•  हर साल की नवरात्रि में अष्टमी या नवमी तिथि के लिए कन्या भोज या पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले आमंत्रित किया जाता है. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं. इसके बाद पैर छूकर आशीष लें.

इसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं. फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें. आप नौ कन्याओं के बीच किसी बालक को कालभैरव के रूप में भी बिठा सकते हैं.

-: कन्या पूजन के नियम किया हैं आए जानते हैं.

• नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है. दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

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