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Home ›   Blogs Hindi ›   Navaratri 2020 Garbaa Dandiya significance in india

नवरात्रि के दौरान भारत में क्यों किया जाता है डांडिया और गरबा ?

Myjyotish Expert Updated 22 Oct 2020 04:34 PM IST
Navaratri
Navaratri - फोटो : Myjyotish
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अगर आप लोग गरबा और डांडिया के इतिहास को जानते है तो आपको पता होगा कि गरबा और डांडिया दोनों ही गुजरात में उत्पन्न हुए यानी गुजरात के ही नृत्य है। यह दोनों नृत्य नवरात्रि के समय पर ही किए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह नृत्य रूप देवी दुर्गा और राक्षस राजा महिषासुर के बीच 9 दिनों की लड़ाई का एक रूपांतर है जिसमें देवी असुर पर विजयी प्राप्त करती है।

नवरात्रि का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय होना का प्रतिक है । यह 9 दिन में हमें नकारात्मक विचारों को शुद्ध करने और एक नए शुरुआत करने का मौका होता है ।

 गरबा नृत्य

मान्यताओं के अनुसार गरबा एक मिट्टी के बर्तन के चारों ओर एक दीपक के साथ किया जाता है जिसे गरबा दीप भी कहते हैं । यह प्रतिनिधित्व प्रतीकात्मक है। दीपक जीवन का प्रतीक होता है । घड़ा शरीर का प्रतीक होता है जिसके भीतर देवत्व निवास करते हैं। इस मिट्टी के बर्तन के चारों ओर जो भी व्यक्ति गरबा करता है वह अपने हाथों में और पैरों के साथ गोलाकार चालक बनाते हैं। इन सब को जीवन के चक्र का प्रतीक माना जाता है जो जीवन से मृत्यु तक पुनर्जन्म की ओर ले जाता है ।

गरबा के नृत्य में चोली या ब्लाउज,  या लंबी स्कर्ट और एक दुपट्टा पहना जाता है। जो भी महिलाएं गरबा खेलती हैं वह बहुत ही सुंदर सुंदर चनिया चोली धारण करती है और नृत्य करती हैं। पुरुष कुर्ता पहनते हैं और कमर पर फ्रॉक के साथ कफनी पजामा और पगड़ी होती है ।

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डांडिया नृत्य

नवरात्रों के समय यह दूसरा ऐसा नृत्य है जो लोग बड़े ही धूमधाम से और मजे से करते हैं। डांडिया में दोनों पुरुष और महिलाएं रंगीन और सजी हुई बांस की डंडियों के साथ यह नृत्य करते हैं जो उन्हें ढोलक और तबले जैसे वाद्य यंत्रों की धड़कनों से टकराते हैं । नृत्य देवी और दानव के बीच हुई लड़ाई को फिर से दर्शाने का एक आकर्षक तरीका है। 

डांडिया के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली रंगीन छड़ी देवी दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करती हैं, यहीं वजह है कि इस नृत्य रूप को 'द स्वॉर्ड डांस' के नाम से भी जाना जाता है।  बजने वाले वाद्य यंत्रों की आवाजें धातु के गुच्छों की याद ताजा करती हैं जो युद्ध के मैदान पर सुनी जा सकती हैं।

महिलाएं घाघरा (लंबी स्कर्ट), चोली (ब्लाउज) और ओढ़नी (शॉल) पहनती हैं।  पुरुष पारंपरिक धोती और कुर्ता पहनते हैं।  मिररवर्क, इन परिधानों का एक हस्ताक्षर डिजाइन है।

 गरबा और डांडिया दोनों की वेशभूषा नवरात्रि के जीवंत रंगों को उजागर करती है।

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