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Home ›   Blogs Hindi ›   Nageshwar Jyotirling Story, History & Significance Kaha Par Hai

महाकाल के इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी विशेष गाथा नहीं जानते होंगे आप

Myjyotish Expert Updated 01 Mar 2021 11:51 AM IST
Nageshwar Jyotirling
Nageshwar Jyotirling - फोटो : Myjyotish
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सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है शिव के गले में जो नाग  बसते हैं वह भी उनके बहुत प्रिय हैं तथा भगवान शिव के भक्त भी है जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग भिन्न-भिन्न जगह पर उपस्थित है उनमें से एक ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है जिसका अर्थ है नागों का ईश्वर अर्थात विष आदि से  बचाने वाला आज हम सुप्रसिद्ध नागेश्वर मंदिर के बारे में जानेंगे यह द्वारका, गुजरात के बाहरी क्षेत्र में स्थित है। भगवान् शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारका पुरी से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है। पुराणों में इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन की बड़ी महत्ता बताई गई है और यह भी कहा गया है कि जो श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की कथा सुनेगा वह सारे पापों से छुटकारा पाकर समस्त सुखों का वह भोग करेगा
 
पौराणिक कथा:

शिव पुराण मैं बताया गया  है कि गुजरात प्रांत में एक सुप्रिय नाम का वैश्य रहता था, जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। वह भोजन और जल ग्रहण करने से पूर्व तल्लीन होकर भगवान शिव की पूजा और अर्चना करता था। वहीं दारुक नाम का एक राक्षस सुप्रिय को बहुत तंग करता था और उसकी पूजा में हमेशा ही विघ्न उत्पन्न करता था। एक बार सुप्रिय को दारुक ने उसके मित्रों सहित पकड़कर कैद कर लिया।

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सुप्रिया उसके कैद में भी भगवान शिव की निरंतर पूजा अर्चना करते रहा। वहीं जब कैदी अवस्था में भी सुप्रिय द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना की बात दारुक ने सुनी, तब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह सुप्रिय को खत्म करने के इरादे से उसके पास आया।

दारूक को पास देख कर सुप्रिय डरा नहीं, लेकिन अपने मित्रों की चिंता उसे ज़रूर सताए जा रही थी। उसने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह आकर उसके मित्रों की रक्षा करें। भगवान अपने भक्तों की बात को कैसे टालते ठीक तभी भगवन शिव वहां प्रकट हुए और सुप्रिय को पाशुपतास्त्र प्रदान कर दारुक राक्षस को खत्म करने को कहा। इस घटना के बाद सुप्रिय अपने जन्म जन्मांतर से मुक्त होकर भगवान शिव के धाम को चला गया और उस स्थान पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हो गई।
 
मंत्र:
याम्ये सदंगे नगरे तिरम्ये विभूषितांग विविधैश्च भोगै: ।
 
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये ।।।
 
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
 
समय सारणी:
दर्शन का समय: शाम 6:00 से 12:30 और शाम 5:00 से 9:30 बजे तक

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