काल सर्प का विशेष नागवासुकि मंदिर , प्रयागराज में स्थित है। यह देश में सबसे अधिक समर्पित और माना जाने वाले हिंदू मंदिरों में से एक है। जिसके लिए पूरे देश भर के हजारों और कुछ पड़ोसी देशों के असंख्य भक्त गवाह है। एक कारक जो इस मंदिर के प्रति भक्तों की अत्यधिक आस्था और विश्वास को उधार देता है, वह है अमृत मंथन से जुड़ा इस मंदिर का महत्व में से एक की उपस्थिति, जिनमें भक्त आशीर्वाद लेने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करते हैं। महादेव की कृपा से भक्तों को कोई कष्ट नहीं होता है। उनकी आराधना करने से भक्तों को जगत के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
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भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार जब भगवान और रक्षासों के बीच समुद्र मंथन को लेकर लड़ाई हो रही थी तब नागवासुकि का उपयोग रसी के रूप में हुआ था। उनके निरंतर प्रयोग होने के कारण , उनके पुरे शरीर में खिचाव से जलन उत्पन्न हो गयी थी। बहुत कोशिश करने पर भी यह जलन समाप्त नहीं हो पा रही थी। देवताओं के कथन अनुसार उन्होंने मदरांचल पर्वत पर भी निवास किया परन्तु उनकी समस्या का कोई भी निवारण प्राप्त नहीं हो पाया। तब वह भगवान विष्णु के कथन पर प्रयाग आये और यहाँ उन्होंने सरस्वती नदी का कुछ दिन तक जल ग्रहण किया और साथ ही यहाँ विश्राम भी किया जिससे उनके समस्त कष्ट क्षण में ही समाप्त हो गए ।
काल सर्प दोष पूजा - नागवासुकि मंदिर , प्रयागराज
यह मंदिर नागपंचमी के दौरान फूलों से खूबसूरती से सजाया जाता है। यह मंदिर भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। यहाँ स्थित मूर्तियां पूरे मंदिर के लिए एक बहुत ही सुखद और सौंदर्य उपस्थिति प्रदान करती हैं। नागपंचमी के दिन इस स्थान पर शिव की आराधना करने से विरोधियों के उत्पन्न होने वाले दुःख समाप्त होते है। कथन अनुसार शिव अपने गले में सर्प धारण करतें हुए विश्व को एक सिख प्रदान करतें है की जीव चाहे जितना ही विषैला हो प्राकृतिक संतुलन में उसका एक अहम स्थान होता है। इसलिए इस स्थान पर काल सर्प की पूजा कल्याणकारी मानी जाती है।
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