myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Mythology of Papmochani Ekadashi

Paapmochani Ekadshi: पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा

MyJyotish Expert Updated 28 Mar 2022 04:37 PM IST
पापमोचनी एकादशी
पापमोचनी एकादशी - फोटो : Google
विज्ञापन
विज्ञापन
पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशी आती है। सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इन्हीं में से एक है पापमोचनी एकादशी। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्णपक्ष में आती है। शास्त्र कहते हैं कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पापमोचनी एकादशी का व्रत आज के दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि व्रत में व्रत की कथा सुनने से या पढ़ने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। हम आज आपको पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा बताएंगे।

काफी समय पहले ऋषि च्यवन अपने पुत्र मेधावी के साथ चैत्ररथ सुंदर नामक वन में रहते थे। एक बार मेधावी तपस्या में लीन थे और उनकी कठोर तपस्या से इंद्र का सिंहासन हिल उठा था। जिससे घबराकर इंद्र भगवान ने मंजुघोषा नाम कि अप्सरा को ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए पृथ्वी पर भेजा था। अप्सरा इतनी खूबसूरत थी कि उसे देखते ही ऋषि अपनी तपस्या भूल गए जिसके कारण उनकी तपस्या भंग हो गयी। उसके बाद ऋषि उसी अप्सरा के साथ रहने लगे थे।\

अष्टमी पर माता वैष्णों को चढ़ाएं भेंट, प्रसाद पूरी होगी हर मुराद 

कुछ समय बीत जाने के बाद अप्सरा ने ऋषि से स्वर्ग वापस जाने की आज्ञा मांगी तब उसने वचन सुनकर ऋषि को एहसास हो गया कि उनकी तपस्या भंग हो गई है। जिसके बाद ऋषि को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने क्रोध में अप्सरा को श्राप दे दिया कि तुम पिशाचिनी बन जाओ क्योंकि तुमने मेरी तपस्या भंग की है।

ऋषि के श्राप से दुखी होकर अप्सरा ने बताया कि वह भगवान इंद्र के कहने पर यहाँ आई थी। वह ऋषि से विनती करने लगी कि आप मुझे श्राप से मुक्त कर दे।
पूरी बात का ज्ञान होने पर मेधावी ऋषि ने अप्सरा को श्राप से मुक्त करने के लिए उपाय बताया। उन्होंने कहा कि तुम पापमोचनी एकादशी का व्रत रखो इससे तुम्हें मेरे द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। ऋषि के द्वारा बताये व्रत को मंजुघोषा अप्सरा ने पूरी श्रद्धा से किया। श्रद्धा और भक्ति को देख भगवान विष्णु की असीम कृपा उस पर हुई और उसे ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति मिल गई और वह पुनः स्वर्ग लोक चली गयी। तभी से पापमोचनी एकादशी का व्रत किया जाने लगा है।

इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन।
 
पापमोचनी एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत। निर्जल व्रत जो व्यक्ति पूर्ण रूप से सवस्थ है उसे ही रखना चाहिए बाकी सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय व्रत रखना चाहिए। इस व्रत में दशमी को मात्र एक बार सात्विक आहार ग्रहण करना होता है और उसके बाद सुबह श्रीहरि का पूजन करे। कहते हैं यदि रात्रि में जागरण करके श्रीहरि का उपवास किया जाये तो हर पाप का प्रायश्चित हो सकता है और इस प्रकार व्रत करने से श्रीहरि की असीम कृपा प्राप्त होती है।

अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।

अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X