हम सभी ने महाभारत से जुडी कई कथाएं सुनी है, पर कुछ कथाएं ऐसी है जिससे आज भी कई हिन्दू अनजान है। हमने महाभारत में कई महापुरुषों की कहानियां सुनी है। कुछ कहानियां ऐसी है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। जी हां, महाभारत में कुछ ऐसे श्राप जिक्र किया गया है जिसे आज भी मानव भुगत रहे हैं।
जब युधिष्ठिर से स्त्री जाति को दिया था श्राप
महाभारत में युधिष्ठिर के द्वारा स्त्री को श्राप सबसे प्रचलित है। वर्णित कथा के अनुसार, जब कुरुक्षेत्र में युद्ध के दौरान अर्जुन ने महारथी कर्ण का वध किया था तब पांडवों की माता कुंती उनके शव के पास बैठ कर दुःख जताने लगी। यह देख पांडवों को आश्चर्य हुआ और तभी युधिष्ठिर माता कुंती के पास पहुंचे। उन्होंने माता कुंती से कर्ण को लेकर सवाल किया और बदले में माता कुंती ने उन्हें बताया की कर्ण उनके सबसे बड़े भाई हैं। यह सुन सभी दुखी हो गए और तभी युधिष्ठिर ने माता से कहा कि इस धर्मक्षेत्र से सभी दिशाओं, आकाश और धरती को साक्षी मान कर सभी स्त्री जाति को यह श्राप देता हूं कि आज के बाद कोई भी स्त्री अपने अंदर कोई नहीं छुपा पाएगी।
जब श्रृंगी ऋषि ने परीक्षित को दिया था श्राप
कथाओं के अनुसार, हस्तिनापुर पर 36 साल राज करने के पश्चात जब पांचों पांडव द्रोपदी के साथ स्वर्गलोक को तरफ प्रस्थान करने लगे तो उन्होंने अपना सारा राज्य अभिमन्यु पुत्र परीक्षित के हाथ में सौंप दिया। उस समय भी हस्तिनापुर के सारी प्रजा युधिष्ठिर के साशन काल की तरह खुश थें। पर एक दिन हर रोज की तरह राजा परीक्षित वन में पहुंचे और तभी वहां उन्हें शमीक नाम के ऋषि दिखें। ऋषि मौन व्रत धारण किये तपस्या में लीन थें। पर राजा इस बात से अनजान थें और उन्होंने कई बार ऋषि को आवाज़ लगाई। पर उन्होंने अपना मौन धारण रखा। यह देख राजा को गुस्सा आ गया और उन्होंने क्रोध में आकर उनके गले में एक मारा हुआ सांप डाल दिया। जब यह ऋषि के पुत्र श्रृंगी को पता चला तो उन्होंने परीक्षित को श्राप दिया कि आज से सात दिन बाद राजा की मृत्यु तक्षक नाग के डसने से होगी और अंत में उनकी मृत्यु हो जाती है। तभी कलयुग की शुरुआत हुई।
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श्री कृष्ण के द्वारा दिया गया अश्वत्थामा को श्राप
महाभारत युद्ध के अंतिम दिन जब अश्वत्थामा जब धोखे से पांडव के पुत्रों का वध किया था। तभी पांडव श्री कृष्ण के साथ अश्वत्थामा की तालाश में महर्षि वेदव्यास के आश्रम पहुंचे। उन्हें देख अश्वत्थामा ने अर्जुन पर बह्मास्त्र से वार किया। यह देख कृष ने अर्जुन को भी ब्रह्मास्त्र चलाने को कहा। परन्तु महर्षि वेदव्यास ने दोनों को टकराने से रोक लिया ताकि समस्त सृष्टि नाश होने से बच जाए। अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया परन्तु अश्वत्थामा को इसकी विद्या नहीं थी और तभी उसने अपने ब्रह्मास्त्र दिशा बदल कर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में दे दिया। यह देख श्री कृष ने उसे श्राप दिया कि वह 3 हज़ार वर्ष इस पृथ्वी पर भटकते रहेंगे और मौश्य से बातचीत भी नहीं हो पाएगी। शरीर से पीप और लहू की गंध निकलेगी। इसी कारण आज भी यह माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित है।
जब माण्डव्य ऋषि ने यमराज को दिया था श्राप
जब राजा ने माण्डव्य ऋषि को सूली पर चढ़ा दिया था। पर लम्बे समय तक सूली पर लटकाने से उनके प्राण नहीं गए तो राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ। उन्होंने ऋषि को सूली से उतारने का आदेश दिया और क्षमा भी मांगी। इसके बाद ऋषि यमराज से मिले पूछा उन्हें यह सजा क्यों मिली। तब यमराज से कहा जब आप 12 वर्ष के थें छोटे से कीड़े के पूंछ में सीक चुभाई थी। इसी कारण आपको यह सज़ा मिली। यह सुन ऋषि को क्रोध आया और यमराज से कहा इतनी काम आयु में धर्म और अधर्म का ज्ञान नहीं होता। और तभी ऋषि ने यमराज को श्राप दिया की वह शूद्र योनि में दासी के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इस श्राप के कारण यमराज को विदुर के र्रोप में जन्म लेना पड़ा।
जब अप्सरा उर्वशी ने अर्जुन को श्राप दिया
13 साल वनवास के दौरान एक दिन अर्जुन दिव्यास्त की खोज में स्वर्ग लोक पहुंचे। वहां अप्सरा उर्वशी उनके र्रोप और सौंदर्य को देखकर मोहित हो गयी। उर्वशी ने अर्जुन को शादी का प्रस्ताव दिया तब अर्जुन ने कहा कि वह उन्हें माता के सामान मानते हैं। इसीलिए विवाह करना संभव नहीं है। इसपर उर्वशी क्रोधित हो गयी और अर्जुन को श्राप दिया कि वह आजीवन नपुंसक हो जाएंगे, स्त्रियों के बिच नृतक बनकर रहना पड़े। यह सुन अर्जुन देव इंद्र के पास गए और उनसे सारी बात बताई। तभी इंद्र ने उर्वशी से श्राप वापस लेने को कहा और तभी उर्वशी ने श्राप को एक साल तक सिमित कर दी। और यह श्राप उन्हें उनके वनवास के समय काम आया और वह कौरवों के नजरों से बचे रहें।
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