पर्सनलाइज्ड रिपोर्ट से जानें राहु केतु राशि परिवर्तन किस प्रकार करेगा आपको प्रभावित
अगर व्यक्ति को धड़ के ऊपर के किसी हिस्से में स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है तो राहु की कुदृष्टि हो सकती है वही अगर धड़ के नीचे कोई स्वास्थ्य परेशानी है तो यह केतु की कुदृष्टि हो सकती हैं। लोग राहु केतु से अक्सर डरते है और यह लाज़मी भी है क्योंकि दोनों पापी ग्रह है । इनके जन्म की भी एक पौराणिक कहानी आइए जानते है इनका जन्म कैसा हुआ और कहा हुआ ।
स्कन्द पुराण के अवन्ति खंड के अनुसार उज्जैन में राहु और केतु का जन्म हुआ था । यह ग्रह सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण का दंश देते हैं, इन्हें छाया ग्रह भी कहा जाता हैं । पौराणिक कथा के अनुसार महाकाल वन में जब भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर समुन्द्र मंथन में से निकले अमृत का वितरण कर रहे थे । इस दौरान एक स्वर्भानु नाम का राक्षस देवता का रूप धारण कर वहाँ आकर बैठ गया और अमृत पान कर लिया। राक्षस के इस छल से क्रोधित भगवान विष्णु ने उस राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि उस राक्षस ने अमृत पान कर लिया था इसलिए उनके शरीर के दोनों भाग जीवित रहे। जो आज राहु और केतु के नाम से जाने जाते हैं।
कामाख्या नवग्रह मंदिर में कराएं सामूहिक पूजन, राहु केतु गोचर के अशुभ प्रभाव होंगे दूर : 23-सितम्बर-2020
राहु-केतु परिवर्तन 2020
राहु-केतु सितंबर के महीने में राशि में परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में पाप ग्रह के रूप में माने जाते राहु और केतु हमेशा साथ साथ ही राशि परिवर्तन करते हैं। 23 सितंबर को केतु मंगल की राशि और राहु शुक्र की राशि वृष और वृश्चिक में आएंगे। राहु-केतु अगर बिगड़ जाएं तो जीवन को नरक बना देते हैं और अगर देने पर आएं तो गरीब को भी राजा बना देते हैं। इसलिए इन दोनों का राशि परिवर्तन कई लोगों के लिए राहत लेकर आता हैं, तो कुछ राशियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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