अश्विन, भरड़ी ,कृतिका , रोहिणी , मृगाशीरा, आद्रा, पुनर्वसु ,पुष्प ,अश्लेषा ,मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त,चित्रl , स्वाति, विशाखा, अनुराधा, जेष्ठा, मूल, पूर्वा उत्तराषाढ़ा , श्रवण ,धनिष्ठा, शताभिषा पूर्वाभाद्रपद ,उत्तराभाद्रपद, रेवती।।
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क्या आप जानते हैं मंडातुल्य कष्ट क्या होता है ? मंडातुल्य अर्थात 'मारक होने की दशा' । कुल 6 प्रकार की स्थितियां बनती है। राशि और नक्षत्र के एक ही स्थान पर उदय और मिलन से गंडमुल्य नक्षत्र का निर्माण होता है। अलग-अलग लग्न के अलग-अलग मरार्तुल्या होते हैं जैसे-
मेष लग्न वालों के लिए मारकेश शुक्र,
वृषभ राशि वालों के लिए मंगल,
मिथुन राशि वालों के लिए गुरु,
कर्क और सिंह राशि वालों के लिए शनि मरकेश होता है ।
माना जाता है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल में होता है तो पिता को अपने बच्चों का चेहरा नहीं देखना चाहिए। साथ ही पिता को अपनी जेब में तुरंत फिटकरी रख देनी चाहिए। 27 दिन तक मूली के पत्ते को बच्चे के सर के पास रखें और अगले ही दिन पानी की बहती धारा हो रही है वहाँ डाल दें । यह प्रक्रिया रोज करें। 28 बे दिन विधि-विधान पूजन होने के बाद पिता को बच्चे को चेहरा देखना चाहिए। इससे नक्षत्रों की नकारात्मकता कम हो जाती है । मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे कुछ अलग स्वभाव के होते हैं। अगर इन्हें सामाजिक और पारिवारिक बंधनों से मुक्त किया जाए तो यह जिंदगी में अलग मुकाम हासिल कर लेते हैं। यह बहुत तेजस्वी, यशस्वी व अच्छे व्यवहार के होते हैं। बताया जाता है अश्विनी महा मूल नक्षत्र में जन्मे जातक को गणेश जी की पूजा करनी चाहिए इससे उन्हें जल्दी लाभ मिलता है ।
जब बच्चा भरणी नक्षत्र में पैदा हो और वही नक्षत्र उसके पिता का भी हो तो बच्चे को किसी ना किसी प्रकार का कष्ट भोगना ही पड़ता है । ज्योतिष विद्या इसके उपाय भी देती है -
शुभ लग्न में अग्नि कोण (पूर्व दक्षिण के मध्य स्थान की तरफ ) से इशनकोण (ये दिशा भगवान शिव क मूर्ति का स्थान दिया गया है)। शुक्र ग्रह को अग्नि कोण दिशा का स्वामी माना जाता है। नक्षत्र की सुंदर प्रतिमा बनाकर कलश स्थापित करने चाहिए । साथ ही लाल वस्त्र से ढककर नक्षत्रों के मंत्र से पूजा-अर्चना करनी चाहिए । नक्षत्र के मंत्र का जाप 108 बार और घी से आहुति डालकर देना चाहिए। तत्पश्चात कलश के जल से पिता, पुत्र और भाई बहन का अभिषेक कराना होता है । यह सारी शुभ पूजा पाठ ज्ञानी पंडित जी की देखरेख में होना ठीक रहता है क्युकि वे ये सारी जानकारियों से निवृत् होते हैं और सही राह बताते हैं।
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