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मौनी अमावस्या 2020 : कब है मौनी अमावस्या और क्या है इसका महत्व

Sneha SinghSneha Singh Updated 22 Jan 2020 12:37 PM IST
Mouni Amavasya 2020: When is Mouni Amavasya and what is its importance
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माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है। माघ अमावस्या के दिन दान-स्नान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन मौन धारण करने का विशेष महत्व माना गया है।


व्रत तिथि एवं दिन- 24 जनवरी, शुक्रवार
प्रारंभ- रात के 11: 47 बजे (जनवरी 23, 2020)
समाप्त: सुबह 12: 41 बजे (जनवरी 25, 2020)
 
मौनी या माघ अमावस्या का महत्व-

हिन्दू पंचाग में माघ माह को कार्तिक मास कि तरह ही पुण्य मास माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मौन रहने से सभी दुख दूर होते हैं, यह मौन आपको आत्म शांति और संयम प्रदान करता है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह कि अमावस्या, पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत ही शुभ होती है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और मौन व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन जो ऐसा आचरण करता है उसे मुनि कहा जाता है।

मौनी अमावस्या से जुड़ी धार्मिक कथा-

मौनी अमावस्या की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। इसके अनुसार जब मंथन के बाद भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए तो देवताओं और दानवों में अमृत प्राप्त करने के लिए खींचतान शुरू हो गई। तभी अमृत की कुछ बूंदे कलश से छलक कर इलाहाबाद, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में जाकर गिर गई। जिससे इन शहरों में नदियों का जल पवित्र हो गया। इसलिए इन नदियों में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों में माघ अमावस्या को बहुत ही शुभ बताया गया है। ये अमावस्या अगर सोमवार के दिन पड़ती है तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। सोमवार के दिन पड़ने पर इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। कुंभ मेले के समय इसका पुण्य फल और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का महत्व-

मान्यता है कि मौन व्रत रखने से अंतरशक्ति बढ़ती है। जिससे हमारा मन स्थिर रहता है और हम सही फैसले लेने में सक्षम होते हैं। मौन रहने से हमारा मन शांत होता है और बुरे ख्याल नहीं आते हैं। कहते है कि अगर मौन सही तरह से धारण किया जाए तो आप जीवन की गहराईयों को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। जिस तरह से प्रकृति में हर चीज़ मौन होते हुए भी निरंतर गतिशील बनी हुई है उसी तरह आप भी मौन रहकर प्रकृति के करीब पहुंचते हैं, जिसके फलस्वरूप आप भी गतिशील बने रहते हैं। ऐसा भी माना गया है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने से न केवल आपको बल्कि आपके पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।

मौन रखने का ज्योतिष महत्व-

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन की चंचलता का कारक माना गया है। और अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं होते हैं। जिसके कारण व्यक्ति का मन स्थिर नहीं रहता है। इसलिए ज्योतिष में भी मन को संयमित रखने के लिए भी इस दिन मौन धारण करने की सलाह दी जाती है।

मौनी अमावस्या के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

अगर आप पूरे दिन मौन धारण नहीं कर सकते तो जितना हो सके उतने समय तक मौन रहिए।
किसी के लिए भला-बुरा न सोचें। यह व्रत करते समय मन में द्वेष भावना न रखें अन्यथा यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाएगा।
अगर आप यह व्रत नहीं भी रखते हैं तो किसी के बारे में कोई कटु शब्द न बोले,अपनी वाणी पर संयम रखें।
 
तर्पण के लिए अमावस्या का दिन अनुकूल माना जाता है। इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती हैं, बिहार के ‘’ गया’’ को मोक्ष की नगरी कहा गया है, यहां पर पितृ तर्पण करवाने से पर्वजों को मोक्ष मिलता है।
 
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