इस कालाष्टमी प्राचीन कालभैरव मंदिर दिल्ली में पूजा और प्रसाद अर्पण से बनेगी बिगड़ी बात : 14 -मई - 2020
देवी लक्ष्मी उसके घर धन आने के असंख्य मार्ग प्रकाशित करती हैं तथा सब कष्ट व दुःख हर लेती हैं। जो देवी लक्ष्मी की आराधना करता है वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से पीड़ित नहीं रहता है। देवी की कृपा प्राप्ति के लिए व्यक्ति को स्वछता एवं सुव्यवस्था का पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए। जिस घर में साफ़ - सफ़ाई का ध्यान रखा जाता है वहां देवी अवश्य ही वास करती हैं।
देवी लक्ष्मी पृथ्वी की मातृ भूमि के रूप में सांसारिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन्हे पृथ्वी माता के रूप में सन्दर्भित किया जाता है तथा यह श्री देवी का अवतार भी मानी जाती हैं। माँ लक्ष्मी की साधना से वित्तीय क्षेत्र में बहुत लाभ होता है। उन्हें अष्ट सिद्धि दात्री के रूप में सम्बोधित किया जाता है।
वैसे तो लक्ष्मी शब्द संपत्ति के रूप में जाना जाता है। परन्तु वास्तव में लक्ष्मी का अर्थ चेतना का गुण माना जाता है। सनातन धर्म के विष्णु पुराण के अनुसार देवी लक्ष्मी भृगु एवं ख्वाती की पुत्री हैं जो कि स्वर्ग लोक में ही निवास करती हैं। वेदों से समुद्रमंथन के समय लक्ष्मी जी की महिमा का व्याख्यान प्राप्त होता है। त्रिदेवों में एक भगवान विष्णु इनके पति हैं जिसके कारण इनकी शक्ति को प्रबल माना जाता है।
आर्थिक विपदाओं के निवारण के लिए कराएं अष्टसिद्धि लक्ष्मी साधना
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की आराधना का विधान है। इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। पूर्ण विधि -विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा को संपन्न करना चाहिए। देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अतिप्रिय है इसलिए इन्हे वह भी अर्पण करना चाहिए। देवी को भोग स्वरुप विभिन्न प्रकार के मिष्ठान प्रदान करने चाहिए। पूजा के समय देवी का ध्यान करके मांगी गई मनोकामनाओं की पूर्ति अवश्य होती है।
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