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मोक्षदा एकादशी: इस सर्वश्रष्ठ एकादशी का वर्त सब को करना चाहिए।

My Jyotish Expert Updated 16 Jan 2022 06:12 PM IST
Mokshda Ekadasi Vrat Significance
Mokshda Ekadasi Vrat Significance - फोटो : google
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मोक्षदा एकादशी: इस सर्वश्रष्ठ एकादशी का वर्त सब को करना चाहिए।                                                                                                       
 
सार
हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का वर्त रखा जाता है। इस दिन भगवन विष्णु की पूजा अर्चना कर उपवास रखा जाता है। मोक्ष की प्रार्थना के लिए यह एकादशी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी और गीत जयंती एक दिन ही पड़ती है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था। माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने और भगवान कृष्ण की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। मोक्षदा एकादशी की तुलना मणि चिंतामणि से की जाती है, मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने और उपवास रखने से सभी मनोकामनाए पूरी होती है।
 
एकादशी तिथि प्रारंभ: 13 दिसंबर, रात्रि 9: 32 बजे से
एकदाशी तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात्रि 11:35 बजे पर
व्रत का पारण: 15 दिसंबर सुबह 07:05 बजे से प्रातः 09: 09 बजे तक
 
क्यों है सर्वश्रष्ठ ?
वैसे तोह सभी वरतो में से ज्यादा फलदाई एकादशी का वर्त होता है। परन्तु मोक्ष एकादशी का वर्त सब से श्रेष्ठ माना जाता है। क्युकी इस दिन इसकी कथा सुन लेने से ही सभी पाप नष्ट हो जाते है। इसका वर्त रखने से मोक्ष तोह मिलता ही है साथ ही पूर्वजो को भी स्वर्ग तक पहुंचने में  मदद मिलती है। इस से यह सिद्ध होता है की इस वर्त का फल इस जीवन में ही नहीं बल्कि इसके आगे वाले जीवन तक मिलता है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इसलिए इसके महत्त्व और बढ़ जाता है।

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क्या है इसके फायदे ?
पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी का वर्त करते रहते है वह जीवन में कभी भी संकटो से नहीं घिरते और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
  • इस वर्त को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती ही है साथ ही इसके अन्य फायदे भी है।
  • व्यक्ति निरोगी रहते है। संकटो से मुक्ति मिलती है।
  • सर्वकार्य सिद्ध होते है। सौभाग्य प्राप्त होता है।
  • विवाह बाधाई समाप्त होती है।
  • खुशीअ मिलती है सिद्धि प्राप्त होती है।
  • दरिद्रता दूर होती है। भाग्य जागृत होता है। ऐश्वर्य मिलता है।
  • शत्रुओ के नाश होता है। हर कार्य में सफलता मिलती है।
 
मोक्षदा एकादशी व्रत विधि
  • ब्रह्म मुहरत में उठकर स्नान अदि के बाद घर और पूजा के स्थान की सफाई करे।
  • घर के मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान करवाए और वस्त्र अर्पित करे।
  • भगवान को रोली और अक्षत के तिलक लगा कर भोगस्वरूप फल आदि अर्पित करे।
  • इसके बाद नियम अनुसार भगवान की पूजा अर्चन पर उपवास आरंम्भ करे।
  • विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ के बाद घी के दीपक से भगवान की आरती करे।  
 
जानिए इसकी पौराणिक कथा
धार्मिक कथा के अनुसार राजा वैखनास चंपा नगरी के प्रतापी राजा थे। वे ज्ञानी थे और उन्हें वेदों का ज्ञान भी था। इतना भला राजा पाकर नगरवासी भी बेहद संतुष्ट व सुखी रहते थे। एक बार स्वप्न में राजा को अपने पिता दिखाई दिये जो नरक में कई यातनाएं झेल रहे थे।राजा ने जब ये बात अपनी पत्नी से साझा की तो रानी ने उन्हें आश्रम जाने का सुझाव दिया। वहां पहुंचकर राजा ने पर्वत मुनि को अपने सपने के बारे में बताया। पूरी बात सुनने के बाद मुनि ने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता ने अपनी पत्नी पर बेहद जुर्म किये थे, इसलिए अब मरणोपरांत वे अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं।
जब राजा ने इसका उपाय जानना चाहा तो पर्वत मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी करने की सलाह दी और कहा कि इससे प्राप्त फल को वो अपने पिता को समर्पित कर दें। राजा ने पूरे विधि-विधान का पालन कर ये व्रत रखा और उनके पिता को अपने कुकर्मों से मुक्ति मिल गई। तब से ही ये माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी न केवल जीवित बल्कि पितरों को भी प्रभावित करती है।

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