नए वर्ष की करें शुभ शुरुआत, समस्त ग्रह दोषों को समाप्त करने हेतु कराएं नवग्रह पूजन - नवग्रह मंदिर, उज्जैन
व्रत का एवं पूजा का विधान -:
1. मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार ही भोजन करें।
2. सबसे पहले एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें , फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
3. पूजा में भगवान के समक्ष धूप, दीप और नैवेद्य समर्पित करें और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करे। पूजा के बाद योग्य व्यक्ति को दान करें।
मोक्षदा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा -:
गोकुल नगर में वैखानस नाम के राजा ने स्वपन देखा कि उसके पिता नरक में है। इस स्वपन से राजा विचलित हुआ, उसने विद्वान-योगी पर्वत मुनि को ये हाल सुनाया कि उसके पिता नरक से मुक्ति दिलाने की बात सपने में कह रहे है। मुनि ने बताया कि राजा के पिता से पूर्व जन्म में पाप हुआ था जिससे उन्हें नरक में जाना पड़ा।
उन्होंने राजा को मार्गशीर्ष एकादशी के व्रत का संकल्प लेकर व्रत करके उसका पुण्य पिता को देने के लिए कहा। जिससे उनके पिता की मुक्ति होगी। राजा ने परिवार सहित एकादशी का व्रत किया। और उसका पुण्य पिता को अर्पण किया, इससे उसके पिता को मुक्ति मिल गई और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ती हुई । स्वर्ग जाते हुए वह अपने पुत्र से बोले कि तेरा कल्याण हो। इसलिए मान्यता है कि इस व्रत से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ती होती है।
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से पित्रों को शांति प्राप्त होती है। इसलिए इस व्रत का और श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है । सभी विधानों के साथ पूजा करने से और व्रत का पालन करने से व्रत सफल होता है और पूर्वजों को मुक्ति प्राप्त होती है।