मोहिनी एकादशी मुख्य तौर पर भगवान विष्णु के मोहिनी के अवतार की पूजा अर्चना की जाती हैl ऐसी मान्यता है l इस एकादशी का व्रत करने से व्रती के सभी बिगड़े काम बन जाते हैंl और भगवान विष्णु की कृपा से उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं l
आज हम मोहिनी एकादशी की कथा को जानेगें
मोहिनी एकादशी हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मनायी जाती हैl इस बार हिंदू पंचाग के अनुसार 23 म ई को मोहिनी एकादशी हैl इस तिथि को एकादशी मोहिनी के नाम से भी जाना जाता हैl
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क्या है मोहिनी एकादशी का महत्व
वेदव्यास की महाभारत में भी मोहिनी एकादशी का वर्णन मिलता हैl पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धर्म राज युधिष्ठिर ने भी इसे किया हैl
बता दे कि एक बार धर्म राज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताएं, जो
सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला साथ ही कष्ट को हरने वाला था तब श्रीकृष्ण कहते हैंl धर्म राज युधिष्ठिर अपने बहुत अच्छा प्रश्न किया हैl मैं आपको आज एक ऐसे ही व्रत को बताऊंगाl
और फिर भगवान श्री कृष्ण ने मोहिनी एकादशी व्रत को बताया थाl
मोहिनी एकादशी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हो रहा था l तो मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ है l इस अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद छिड़ गया l क्योंकि दोनों ही अमृत पीकर अमर होना चाहते थे l विवाद की स्थिति जब युद्ध की तरफ अग्रसर होने लगी तो भगवान विष्णु ने एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कियाl इस सुंदर स्त्री का रूप देखकर असुर मोहित हो उठे और अमृत कलश लेकर देवताओं को सारा अमृत पीला दिया l इस प्रकार से देवता अमृत पीकर अमर हो गए l मान्यता है जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया थाl उस दिन वैशाख मास की शुक्ल एकादशी तिथि थी l इसीलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाते हैं l इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा होतीl
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