- सफेदे का पत्ता अपनी जेब में रखें।
- ताँबे, स्टील या लोहे के पात्र में रखा जल पीएँ।
- आटे की गोलियाँ मछलियों को खिलाएँ।
- काले उड़द (400 ग्राम) जल में प्रवाह दें।
- भोजन का पहला ग्रास गाय को दें।
- शनिवार सायंकाल में उड़द दाल की खिचड़ी अवश्य खाएँ।
माय ज्योतिष के अनुभवी ज्योतिषाचार्यों द्वारा पाएं जीवन से जुड़ी विभिन्न परेशानियों का सटीक निवारण
वैवाहिक विलम्ब व प्रतिबन्ध के उपाय
- अग्नि महापुराण के 18वें अध्याय में वर्णित गौरी प्रतिष्ठा विधि का प्रयोग करें।
- ‘‘ऊँ क्लीं विश्वासुर्नाम गन्धर्वः कन्यानामधिपतिः लभामि देवदत्तां कन्यां सुरूपां सालंकारां तस्मै विश्वावसवे स्वाहा’’। इस गन्धर्वराज मन्त्र का दस हजार जप करें।
- पुरूषों के शीघ्र विवाह के लिए अधोलिखित मन्त्र का 108 बार जप करे-
‘‘पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्यानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।
- कनकधारा स्तोत्र का 21 पाठ 90 दिन तक करें।
- श्रीरामदरबार चित्र का पञ्चोपचार पूजन के बाद निम्नलिखित दोहे का 21 बार जप करें-
‘‘तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै।
मांडवी श्रुतिकीरति उरमिला कुँअरि लई हँकारि कै।।’’
- इस सन्दर्भ में शुक्रवार को किया जानेवाला माँ गौरी का व्रत भी प्रशस्त माना गया है। निराहार व्रत के बाद सायंकाल पंचमुखी दीपक जलाएँ। पुनः अधोलिखित मन्त्र का 108 बार जप करें-
‘‘बालार्कायुतसत्प्रभां करतले लोलाम्बमालाकुलां मालां सन्दधतीं मनोहरतनुं मन्दस्मिताधोमुखीम्।
मन्दं मन्दमुपेयुषीं वरयितुं शम्भुं जगन्मोहिनीं, वन्दे देवमुनीन्द्रवन्दितपदाम् इष्टार्थदां पार्वतीम्।।’’
- वैवाहिक विलम्ब अथवा प्रतिबन्ध योगों में शनि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः ऐसी परिस्थिति में निम्नलिखित मंत्र का प्रयोग शीघ्र ही फल देता है-
‘‘कोणस्थः पिंगलों बभ्रुः कृष्णो रौन्द्रोऽन्तको यमः। सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलाश्रय संस्थितः।।
एतानि शनि-नामानि जपेदश्वत्थसन्निधौ। शनैश्चरकृता पीड़ा न कदापि भविष्यति।।’’
शनि साढ़े साती पूजा - Shani Sade Sati Puja Online
शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ, और उपरोक्त मन्त्र का 36 बार जप करें।
- योग्य पुरोहित के सन्निध्य में अत्यन्त प्रभावशाली ‘शनि-पाताल क्रिया’ का अनुष्ठान कराएँ।
यदि जन्माङ्ग में मंगल दोष विद्यमान हो और इस कारण से विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अधोलिखित उपाय शीघ्र ही फल प्रदान करते हैं-
मंगल चण्डिका स्तोत्र का 21 पाठ नित्य करें-
‘‘रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके।
हारिके विपदां राशेः हर्षमंगलकरिके।।
हर्षमंगलदक्षे च हर्षमंगलदायिके।
शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचण्डिके।।
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगलमंगले।
सदा मंगलदे देवि सर्वेषां मंगलालये।।’’
जाने अपनी समस्याओं से जुड़ें समाधान भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों के माध्यम से
- मंगलस्तोत्र का नित्य 21 बार जप करें।
- सौभाग्याष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ करें।
- मंगल यन्त्र की विधिपूर्वक स्थापना करें।
- योग्य पुरोहित के द्वारा कन्या का कुंभ अथवा विष्णु विवाह अत्यन्त गोपनीय तरीके से करवाएँ। गोपनीयता ही इस प्रयोग के सफलता की कुञ्जी होती है।
- सौन्दर्य लहरी (श्लोक 1-27) का पाठ करें।
- सावित्री व्रत का सश्रद्धा अनुष्ठान करें।
- सोंठ, सौंफ, मौलसिरी के फूल, सिंगरक, मालकंगनी और लाल चन्दन समभाग लें। इसे जल में मिलाकर मंगलवार को स्नान करें।
- बेल, जटामांसी, लाख के फूल, हिंगलू, बल, चन्दन और मूवला औषधियों को पानी में मिलाकर मंगलवार को स्नान करें।
यह भी पढ़े :-
सूर्य ग्रहण 2020 : सूर्य ग्रहण में सूतक का समय एवं राशियों पर प्रभाव
सूर्य ग्रहण 2020 : जाने सूर्य ग्रहण में क्या करें और क्या न करें
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का महत्व