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आज है सावन का पहला मंगला गौरी व्रत जानिए पूजा विधि, व्रत कथा और महत्तव

my jyotish expert Updated 27 Jul 2021 12:10 PM IST
मंगला गौरी व्रत
मंगला गौरी व्रत - फोटो : google
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मंगला गौरी व्रत - सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और साथ ही साथ सावन के महीने में हर सोमवार में शिव भक्त व्रत रखते हैं भगवान शिव के लिए पर यह बहुत कम लोग जानते हैं कि सावन के महीने में जो मंगलवार पड़ता है उसका भी अलग महत्व है खास तौर पर अगर मंगलवार को सुहागिन महिलाएं व्रत रखें तो उनका जीवन बहुत ही अच्छा हो जाता है. यह तो हम सब जानते हैं सावन के महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है इस महीने में इनकी पूजा के लिए शिव के भक्त सुबह ही मंदिर चले जाते हैं उनकी आराधना करने किंतु 25 जुलाई से यह महीना यानी भगवान शिव का महीना सावन शुरू हो चुका है और तो और आज सोमवार है यानी आज का दिल्ली महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन शिव के भक्त व्रत रखते हैं ताकि उनकी सारी इच्छाएं भगवान शिव द्वारा पूरी हो जाए ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में शिव भगवान अपने भक्तों से बहुत प्रसन्न होते हैं और उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।

पर क्या आप यह जानते हैं जितना महत्व सावन के महीने में सोमवार का है उतना ही महत्व मंगलवार का भी है ऐसा कहा जाता है कि अगर हम मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखते हैं और पार्वती का पूजन विधि करते हैं तो हमें किसी चीज की भी परेशानी नहीं हुई होगी बल्कि अगर हमारे वैवाहिक जीवन में कोई समस्या है तो वह भी दूर हो जाती है अगर किसी के जीवन साथी से उनका मनमुटाव चल रहा है तो वह भी दूर हो जाता है और खुशी प्राप्त होती है।

मंगला गौरी व्रत की विधि (Mangla Gauri Vrat Vidhi)-

पहले तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए वस्त्र को पहनना आवश्यक है उसके बाद आपके घर पर या किसी भी मंदिर पर जहां पूजा करते हैं वहां की चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाए सिर्फ आधे हिस्से में और बाकी के बचे हुए हिस्से में लाल कपड़ा बिछाये जहां सफेद कपड़ा बिछाया था वहां चावल के नौ छोटे-छोटे ढेर बना कर नवग्रह तैयार करना चाहिए और बाकी जहां लाल कपड़ा बिछाया था वहां गेहूं के 16 ढेर बनाएं और बचे हुए स्थान पर थोड़ा सा चावल दिखा दे और साथ ही साथ एक पान का पत्ता रखें उस पान के पत्ते पर स्वास्तिक बनाएं और उनको गणपति बप्पा को रख दे उसके बाद गणपति बप्पा के पास चावल दो और पुष्प पर उनकी पूजा करें. यह होते ही एक थाली में मिट्टी द्वारा मंगला गौरी की प्रतिमा बनाना चाहिए और चौकी पर रख दें उसके बाद वह काजल हाथ में लेकर और उसके साथ उसको लेकर व्रत का संकल्प करें और जो भी आपने मनोकामनाएं मांगी है उसे कह कर पूरी करें. उसके बाद 16 बत्ती वाला एक दीपक जलाएं और उसके साथ मंगला गौरी के व्रत की कथा पड़े और उनकी आरती गाएं जैसे ही पूजा खत्म हुए वैसे ही सभी वस्तुएं किसी ब्राह्मण को दान करें और उसी के साथ शाम होते ही अपना व्रत खोल दे।.

मंगला गौरी के व्रत की कथा (Mangla Gauri Vrat katha)

एक सेठ जिनका नाम धर्मपाल था ऐसा कहा जाता था वह महादेव के बहुत बड़े भक्त थे उनके पास बहुत धन दौलत उन्हें किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी लेकिन उनके पास एक बेटा नहीं था जिसके कारण वह बहुत दुखी रहते थे और बहुत परेशान रहते थे फिर कुछ दिनों बाद भगवान शिव की कृपा से उनको एक बेटा मिला लेकिन ऐसा कहा गया था कि 16 वर्ष में ही उस बच्चे की मृत्यु हो जाएगी सांप के काटने की वजह से तो इसीलिए धर्मपाल ने निश्चय लिया कि वह अपने बेटे की शादी 16 वर्ष में ही करवा देगा पर जिस लड़की से उन्होंने अपने बेटे की शादी करवाई सुबह पहले से ही मंगला गौरी जी की व्रत रखती हुई आ रही थी तो उसी के कारण उसके पुत्र को कभी भी कोई भी परेशानी या कोई संकट ही नहीं आया और तो और उसके सर पर जो परेशानी थी कि उसके बेटे की मृत्यु हो जाएगी वह भी तुरंत हट गई और उसके पुत्र की उम्र 100 वर्ष बढ़ गई इसीलिए मंगला गौरी की व्रत को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
 

जानिए मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखने का क्या महत्व है

सावन के महीने में जो मंगलवार पड़ता है उसमें ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में ज्यादातर महिलाएं व्रत रखती हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन अच्छा रहे और तो और उनका जीवन साथी बहुत लंबी उम्र जिए. ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान महादेव माता पार्वती की तपस्या से खुश हुए थे और उनसे विवाह करने के लिए तैयार हो गए थे तो इसीलिए ही मान्यता है कि अगर किसी को अपना जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है वह भी मंगलवार को व्रत रखें. लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखें कि मंगला गौरी के लिए व्रत रखना अर्थात पूरे 5 साल तक रखना चाहिए हर साल में कम से कम चार या पांच मंगलवार के व्रत रखे जाते हैं सावन के महीने में अगर वह ऐसा करें तो उनका जीवन उनके जीवन साथी के साथ अच्छा गुजरता है।


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