हिन्दू धर्म में मलमास , अधिक मास या पुरुषोत्तम मास का बहुत महत्व माना गया हैं । इस मास के अधिपति भगवान विष्णु हैं , इसलिए इस मास में भगवान विष्णु के विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया जाता हैं । इसके अलावा भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने का भी बहुत महत्व हैं। इस मास में व्यक्ति को गीता सुननी या पढ़नी चाहिए। यह पूरा मास श्री हरि को समर्पित हैं , इनको ख़ुश करना बहुत ज़रूरी हो जाता हैं । कुछ मंत्रों के नियमित जाप से यह संभव हो सकता हैं।
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।
इस मंत्र को विशेषकर पुरुषोत्तम मास में जपा जाता हैं।इससे व्यक्ति के पापों के नाश होता हैं।इस मंत्र का जाप करते समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। यह मंत्र श्री हरि के कृष्ण स्वरूप को दर्शाता हैं।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:।।
यह भगवान विष्णु का प्रभावी द्वादशाक्षरी मंत्र हैं। यह मंत्र वैष्णव सम्प्रदाय में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं। सूर्योदय से पूर्व स्नान कर इस मंत्र का जाप करें भगवान विष्णु अवश्य प्रसन्न होंगे।
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ऊं नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
यह मंत्र भगवान विष्णु का गायत्री महा मंत्र है , श्री हरि की पूजा के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
विशेष बात जो मंत्रों का जाप करते समय याद रखनी चाहिए।
इस मास में किसी भी प्रकार का नशा न करें और मांसाहार से दूर रहें। मांस के सेवन से भगवान विष्णु रुष्ट हो जाते हैं और यदि कोई व्यकित इन मंत्रों का जाप कर रहा हो उसे विशेषकर इन सब चिज़ों से दूर रहना चाहिए।
अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, मान्यता कि पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान और दान करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं और हर प्रकार के कष्ट भी दूर होते हैं।
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