- मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है। आमतौर पर तो यह 14 जनवरी को ही मनाया जाता है। लेकिन सूर्य की परिक्रमा के आधार पर यह 13 और 15 को भी मनाया जाता है।
- भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। भारत में त्योहार मकर संक्रांति के साथ ही आरम्भ होते हैं। इसे साल का पहला सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जा सकता है।
- मकर संक्रांति के साथ ही भारत के विभिन्न तीर्थ-स्थलों पर 'माघ मेलों' के नाम से प्रचलित मेलों की भी शुरुआत हो जाती है। इस दिन 'प्रयागराज' में भी माघ मेले का शुभारंभ होता है।
- पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले ' लोहड़ी' मनाया जाता है।
- भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इस त्योहार को कई और नामों से भी जाना जाता है। 'भोगली बिहू', 'पौष संक्रांति', 'उत्तरायणी' (हालांकि यह सूर्य के उत्तरायण से भिन्न होता है),
- महाराष्ट्र में सुहागिन महिलाएं दूसरी महिलाओं को इस दिन नमक, तेल आदि का दान देती हैं। महाराष्ट्र में एक प्रचलित कहावत भी है - 'तिळ गुड घ्या आणि गोड गोड बोला।' मतलब की 'तिल गुड़ दो और मीठा मीठा बोलो।
- बंगाल में माना जाता है कि गंगा इसी दिन भगीरथ के पीछे-पीछे बहकर। साथ ही कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा कर मिल गयी थीं। यह मकर संक्रांति के ही दिन हुआ था।
- मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में डुबकी लगाने को 10 अश्वमेध यज्ञों और 1000 गायें दान करने के बराबर का पुण्य माना गया है। इस दिन गंगासागर में स्नान करने के लिए बहुत भीड़ एकत्रित होती है। इसके लिए एक कहावत भी प्रचलित है - 'सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार'।
- कहा जाता है की यशोदा मैया ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत किआ था तो वह मकर संक्रांति का ही दिन था। इसलिए कई लोग इस शुभ दिन पर उपवास भी रखते हैं।
- ऐसी भी मान्यता है की इस दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनिदेव से मिलने जाते हैं। क्योंकि शननिदेव मकर राशि के स्वामी भी हैं इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति भी कहा जाता है।
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