मान्यता है कि भगवान महावीर को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है। ये उन 24 लोगों में से हैं जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। कहा जाता है कि तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं। तो आज हम आइए जानते हैं कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती।
शनि साढ़े साती पूजा - Shani Sade Sati Puja Online
देशभर में इस दिन जैन मंदिरों में महावीर भगवान की पूजा की जाती है। उसी के साथ ही शोभा यात्रांए भी जगह जगह पर निकाली जाती है। इस दिन जैन समुदाय के लोग स्वामी महावीर के जन्म की खुशियां मनाते हैं। इन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे। इन्होंने ही जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए थे जो इस प्रकार हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य।
जानें भगवान महावीर की जीवन की कहानी-
भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। इनकी माता का नाम महारानी त्रिशाला और पिता का नाम महावीर महाराज सिद्धार्थ था। महावीर स्वामी ने आत्मज्ञान की तलाश में 30 वर्ष की उम्र में ही अपना सारा राज-पाट छोड़ दिया था। इन्होंने अपना घर-बार छोड़ दिया था और अपने पत्नी और बच्चे को भी छोड़ कर चलेग गए थे। उन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की और दीक्षा ग्रहण की। तप के पश्चात ही भगवान महावीर को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और वो तीर्थंकर कहलाए।
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